रायपुर: दसवीं-बारहवीं सीजी बोर्ड में इस साल बंपर 3100 से ज्यादा छात्रों काे बोनस नंबर मिलेंगे। इनमें सबसे ज्यादा संख्या खिलाड़ियों की है। करीब 2600 खिलाड़ियों को यह फायदा मिलेगा। लोक शिक्षण संचालनालय से बोनस अंक पाने वाले पात्र छात्रों की लिस्ट माध्यमिक शिक्षा मंडल को भेज दी गई है। लेकिन यह बोनस नंबर रिजल्ट में नहीं जुड़ेंगे।

दरअसल, दसवीं-बारहवीं सीजी बोर्ड परीक्षा में एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद समेत अन्य कैटेगरी में छात्रों को 10 से 20 नंबर तक बोनस के रूप में देने का नियम है। कुछ साल पहले तक बोनस नंबरों की वजह से कई छात्र टॉप-10 की मेरिट तक पहुंच जा रहे थे। इसलिए पिछले साल से यह सिस्टम बनाया गया कि बोनस के नंबर मेरिट में नहीं जुड़ेंगे।जैसे, खेलकूद या एनसीसी या अन्य कैटेगरी के किसी छात्र को गणित, हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान समेत अन्य विषयों में अच्छे नंबर मिले हैं, लेकिन कुछ नंबर की वजह से वह मेरिट में जगह नहीं बना पा रहे तो वह बोनस अंक भी काम नहीं आएगा।लेकिन छात्र मेरिट लिस्ट में नहीं है तो उसके रिजल्ट में बोनस नंबर जुड़ जाएंगे। इससे रिजल्ट का प्रतिशत बढ़ जाएगा। खेल, एनसीसी, एनएसएस या अन्य वर्ग के छात्र कुछ नंबरों से फेल हो रहे हैं तो बोनस अंक की मदद से वह पास हो सकेंगे। गौरतलब है कि दसवीं-बाहरवीं सीजी बोर्ड की कापियों का मूल्यांकन अंतिम दौर में है। संभावना है कि 15 मई तक रिजल्ट जारी हो जाएंगे।

दसवीं-बारहवीं सीजी बोर्ड के बोनस नंबर के लिए लोक शिक्षण संचालनालय से जो लिस्ट भेजी गई है, उसके अनुसार इस बार खिलाड़ियों के अलावा, स्काउट, एनसीसी, विद्याभारती कैटेगरी वाले छात्रों को भी बोनस नंबर मिल रहे हैं। एनएसएस समेत अन्य कुछ कैटेगरी की सूची अभी नहीं भेजी गई है। स्काउट गाइड के तहत दसवीं-बारहवीं के 538 छात्रों को बोनस नंबर मिलेगा। एनसीसी में इस बार केवल छह छात्रों को ही इसका फायदा मिलेगा। विद्याभारती कैटेगरी से 27 छात्रों के नाम बोनस नंबर के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल को मिले हैं।

पिछली बार सीजी बोर्ड में बड़ी संख्या में छात्र पास हुए थे। दसवीं का रिजल्ट 74.23 प्रतिशत और बारहवीं का 79.3 प्रतिशत था। इस बार भी दसवीं का रिजल्ट 70 फीसदी और बारहवीं का 75 फीसदी से ज्यादा होने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि बारहवीं का रिजल्ट पहले भी ठीक रहता था। पिछले कुछ साल से दसवीं में भी पास होने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है। आठ-दस साल पहले दसवीं में 55 से 58 प्रतिशत तक ही छात्र पास हो पाते थे। साल दर साल बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे में सुधार आ रहा है।

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