रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में से महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत अब तक राज्य में निर्मित एवं सक्रिय रूप से संचालित 8119 गौठानों में से 2549 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। स्वावलंबी गौठान गोबर खरीदी से लेकर वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण के लिए स्वयं के पास उपलब्ध राशि का उपयोग करने लगे हैं। रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 279 गौठान स्वावलंबी हुए है। दूसरे नंबर राजनांदगांव जिले में 207 तथा तीसरे क्रम पर महासमुन्द एवं कोरबा जिला है, जहां 170-170 गौठान स्वावलंबी हुए हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में 25, धमतरी में 80, बलौदाबाजार में 84 तथा रायपुर जिले में 75, कबीरधाम में 141, दुर्ग में 143, बालोद में 67, बेमेतरा में 22, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 25, जांजगीर-चांपा में 160, बिलासपुर में 82, मुंगेली में 67, कोरिया में 73, जशपुर में 75, बलरामपुर में 80, सरगुजा में 79, सूरजपुर में 56, कांकेर में 105, कोण्डगांव में 46, दंतेवाड़ा में 55, नारायणपुर में 7, बस्तर में 102, बीजापुर में 22 तथा सुकमा जिले में 52 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं।
गौरतलब है कि राज्य में पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अब तक 10591 गांवों में गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 8119 गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है और वहां पर गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां संचालित हो रही है। वर्तमान में 2103 गौठानो का तेजी से निर्माण कराया जा रहा है शेष 369 गौठानो के निर्माण का कार्य अभी शुरू कराया जाना है। गौठानों में पशुधन के देखरेख, चारे-पानी एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।