बिलासपुर: तबादला आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए तबादला आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने आला अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। विजय कुमार चेलक, मुकेश सोम एवं राकेश खुटेश्वर ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व लक्ष्मीन कश्यप के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस स्थापना बोर्ड के निर्णयानुसार पुलिस महानिदेशक रायपुर ने 26 अप्रैल 2022 को एक आदेश जारी कर बस्तर एवं नारायणपुर तबादला कर दिया।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं लक्ष्मीन कश्यप ने छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तीन जून 2015 को जारी सर्कुलर जिसके पैरा 13 में यह प्रविधान किया गया है कि यदि कोई शासकीय कर्मचारी ने दो वर्ष तक घोर अनुसूचित जिले एवं तीन वर्ष तक कुल पांच वर्ष तक अनुसूचित जिले में अपनी सेवा दिया है तो इसके पश्चात उनका गैर अनुसूचित (गैर नक्सली) जिले में पदस्थापना की जाएगी। चूंकि उक्त सर्कुलर सामान्य प्रशासन विभाग रायपुर द्वारा जारी किया गया है इसलिए यह अन्य विभागों के साथ-साथ पुलिस विभाग पर भी लागू होगा।

अधिवक्ता पांडेय ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सिंगल एवं डिवीजन बेंच द्वारा पारित आदेश का हवाला भी दिया है। इसके अलावा अधिवक्ता पांडेय ने यह भी जानकारी दी कि सभी याचिकाकर्तागण अनुसूचित (नक्सली) जिले में पांच वर्ष से अधिक समय तक अपनी सेवाऐं दे चुके हैं इसके बावजूद भी बार-बार याचिकाकर्ताओं का अनुसूचित (नक्सली ) जिले में स्थानांतरण किया जा रहा है जबकि वर्ष 2008 बैच एवं इसके पूर्व के वर्ष 2004 बैच के तकरीबन 100 के लगभग निरीक्षक हैं जिनका आजतलक अनुसूचित (नक्सली) जिले में पदस्थापना नहीं की गई है एवं बार-बार उन्हें मैदानी जिले में पदस्थ किया जा रहा है जो कि सर्कुलर तीन जून 2015 का घोर उल्लंघन है। मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक तिवारी के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस तिवारी ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए डीजीपी द्वारा जारी तबादला आदेश पर रोक लगा दिया है।

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