रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन चार हजार तीन सौ सैंतीस करोड़, पचहत्तर लाख तिरानवे हजार आठ सौ बत्तीस रुपए के अनुपूरक बजट का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री इसमें रखे प्रावधानों के बारे में बता रहे हैं। द्वितीय अनुपूरक को मिलाकर बजट का आकार अब एक लाख 11 हजार करोड़ से ज्यादा हो जाएगा।

बता दें कि इससे पहले विशेष सत्र के दूसरे दिन की शुरुआत हंगामे से हुई। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर व्यवस्था का प्रश्न उठाया। चंद्राकर ने कहा, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। सदन की कार्यवाही को पूर्व प्रचारित किया गया। ट्वीटकर कहा- हम आदिवासियों के साथ हैं। मुख्यमंत्री ने भी लिखा कि हमने सत्र आहूत करने का आग्रह किया है।

चंद्राकर ने कहा, पीसीसी चीफ़ और मुख्यमंत्री को यह कैसे पता चल गया कि सत्र 1 और 2 दिसंबर को आहूत किया जाएगा। हम विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। इस पर चर्चा कराई जाए। कौन सा विधेयक है, जिसे अब तक वितरित नहीं किया गया है। सदन का राजनीतिक दुरुपयोग किया जा रहा है। चंद्राकर ने कहा कि विधानसभा में जितने सत्र हुए हैं, वह विषय केंद्रीय हुआ है। यदि आरक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाया जा रहा है तो फिर अनुपूरक बजट कैसे लाया जा रहा है?

संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सत्र के विषय तय किए गए। हमने आरक्षण के विषय पर ही विशेष सत्र आहुत कराया है। पूरे प्रदेश के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाया गया है। क्या आप इसका विरोध कर रहे हैं?

स्पीकर डॉक्टर चरणदास महंत ने कहा कि सदन में जो भी बिज़नेस आया है, यह कार्यमंत्रणा समिति की तरफ़ से ही आया है। बीजेपी विधायक ननकी राम कंवर ने कहा कि आरक्षण के मामले में सरकार ने कोर्ट में ठीक ढंग से जवाब नहीं दिया।

इस पर मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने जो ग़लत किया है, आज उसे ही ठीक किया जा रहा है।

बीजेपी विधायक शिव रतन शर्मा ने कहा कि विधानसभा का अपमान है कि सत्र की अधिसूचना जारी होने के पहले पीसीसी चीफ मोहन मरकाम को सत्र की जानकारी कैसे मिली? यह विधानसभा की गरिमा का अपमान है।

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि कार्य संचालन की पुस्तक में ये कहां लिखा है कि विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।

ये गंभीर विषय है कि जब किसी को यह नहीं पता कि सत्र कबसे शुरू होगा। क्या सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। 19 सितम्बर को आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट का फ़ैसला आया था। दो महीने बाद तक सरकार का ध्यान इस ओर नहीं आया। सरकार अधिसूचना जारी कर सकती थी। भानुप्रतापपुर उप चुनाव 5 दिसम्बर को है । हमारा अनुरोध है कि सत्र 9 दिसंबर को बुलाया जाए। 8 दिसंबर को उप चुनाव के नतीजे आ जाएंगे।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!