छत्तीसगढ़: कांकेर जिले में एक बच्चे की संदिग्ध परिस्थिति में मौत का मामला सामने आया है।बच्चे के शव के पास बोनफिक्स का पैकेट पाया गया है।ऐसे में आशंका जाहिर की जा रही है कि बच्चे ने बोनफिक्स का नशा किया होगा, जिससे उसकी जान चली गई। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
घटना कांकेर जिले के पखांजूर इलाके की है. यहां 8वीं कक्षा में पढ़ने वाला छात्र साहेब मंडल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. साहेब का शव स्कूल के पीछे पाया गया है. साहेब मंडल कापसी गांव में अपने मामा के घर रहकर विवेकानंद स्कूल में पढ़ाई कर रहा था. बच्चे के शव के पास से पुलिस को बोनफिक्स का पैकेट मिला है. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और घटना की जांच कर रही है.
बता दें कि बोनफिक्स एक ट्यूब है, जिसका इस्तेमाल रबर, प्लास्टिक और शीशा चिपकाने में होता है. ये बोनफिक्स ट्यूब आसानी से जनरस स्टोर्स पर मिल जाती है और इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है और 20-30 रुपए में यह मिल जाती है. बच्चे और युवा इस ट्यूब को टिश्यू पेपर पर निकालकर उन्हें सूंघते हैं, जिससे उन्हें नशा होता है. जैसे ही नशे का असर कम होता है, फिर से बोनफिक्स लगे इन टिश्यू पेपर को सूंघ लेते हैं. इस तरह बच्चे और युवा गलत संगति में पड़कर बर्बादी की तरफ जा रहे हैं.
चूंकि बोनफिक्स के नशे में बच्चों के मुंह से शराब जैसी बदबू भी नहीं आती तो घरवालों को भी पता नहीं चल पाता. जो बच्चे बेसहारा हैं और कबाड़ आदि बीनने का काम करते हैं, वह बड़ी तादाद में इस नशे की गिरफ्त में हैं. अब देखा-देखी इस तरह का नशा करने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रीह है. बोनफिक्स के अलावा कफ सीरप, विक्स, आयोडेक्स आदि भी नशे के औजार बन रहे हैं. अहम बात ये हैं कि ये आसानी से उपलब्ध हैं.
बोनफिक्स आदि का नशा तंत्रिका तंत्र पर असर करता है. ऐसे में बहुत ज्यादा मात्रा में ये नशा करने पर बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं. वहीं इस नशे से बच्चे अपराध की दुनिया में भी दाखिल हो रहे हैं क्योंकि इस नशे से उत्तेजना भी होती है. इन नशों को करने से बच्चे थोड़ी देर तक मानसिक रूप से सुस्त और बेहोशी की सी हालत में रहते हैं. इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट रही है. दिमाग के साथ ही ये नशे युवाओं को लिवर और किडनी जैसे अंगों को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं.