रायपुर: गड़बो नवा छत्तीसगढ़ नारे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के विधायक और मंत्री नवा छत्तीसगढ़ करने में कितना योगदान दे पा रहे हैं, यह बताना तो थोड़ा मुश्किल है पर हां अपना और अपने रिश्तेदारों का नवा भविष्य गढ़ने के लिए किस हद तक जा सकते हैं इसका एक बतौर सबूत जीता जागता वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमे आए दिन अपनी उल जलूल बयानों से विवाद में रहने वाले छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री अधिकारियों से बदतमीजी करते नजर आ रहे हैं इतना ही नहीं मंत्री जी सत्ता के सस्ते नशे में इतना चूर है कि उन्होंने कोरबा कलेक्टर को हटाने की धमकी तक दे डाली क्योंकि कोरबा के वर्तमान कलेक्टर संजीव कुमार झा ने टीपी नगर को शिफ्ट करने की योजना बनाई है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीपी नगर का फायदा मिल सके लेकिन मंत्री जी को यह रास नहीं क्योंकि जिस जगह टीपी नगर बनना प्रस्तावित है वहां पर छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और उनके रिश्तेदारों के नाम पर कुल 20 खसरे हैं जिसका कुल रकबा 9.102 हेक्टेयर यानी कि लगभग 22 एकड़ से ज्यादा की जमीन है इससे आप समझ ही सकते हैं की मंत्री जी इस तरह नवा छत्तीसगढ़ गढ़ रहे हैं।
यह राजस्व मंत्री का पहला मामला नहीं है इसके पहले भी कई कलेक्टरों को या किसी तरह परेशान करते रहे हैं अगर जयसिंह अग्रवाल और कोरबा कलेक्टरों के विवाद पर एक नजर डालें तो सबसे पहले कलेक्टर रजत कुमार से इनका विवाद शुरू हुआ जो कहा जाता है कि सड़क निर्माण ठेका को लेकर हुआ था इसके बाद कलेक्टर पी दयानंद से विवाद एजुकेशनल हब स्याही मुंडी ठेका को लेकर कलेक्टर किरण कौशल से डीएमएफ व निर्माण कार्यों को लेकर कलेक्टर रानू साहू से कुसमुंडा सड़क निर्माण का भुगतान व डी एम एफ को लेकर और अब वर्तमान कलेक्टर संजीव कुमार झा से बांधाखार हरदी बाजार सड़क निर्माण भुगतान व अन्य साहित्य के असवैधानिक कार्यों पर हस्तक्षेप के कारण हो रहा है क्योंकि वर्तमान कलेक्टर संजीव कुमार झा टीपी नगर को ऐसी जगह शिफ्ट करना चाहते हैं जहां आम जनता को ज्यादा से ज्यादा टीपी नगर होने का फायदा मिल सके ना कि मंत्री जी और उनके रिश्तेदारों को।
निजी स्वार्थ नही हुआ सिद्ध तो नाराज हुए नेता जी, कलेक्टर के तबादले की दे डाली धमकी
कोरबा विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों से उनका विवाद कोई नई बात नहीं है मगर इस बार नेता जी का दर्द सार्वजनिक तौर पर बाहर आया है और यही कारण है कि विधायक जी सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि माने जाने वाले कलेक्टर का तबादला कराने की धमकी देते नजर आ रहे हैं जो जमकर वायरल भी हो रहा है।
दरअसल मसला जमीन का है और जमीन के कारण है कि मंत्री जी की खीझ सार्वजनिक तौर पर बाहर आ गई दरअसल कोरबा जिले में ट्रांसपोर्ट नगर को शहर के बाहर बसाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसके तहत बरबसपुर इलाके में नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के द्वारा प्रस्ताव भी पास कर दिया गया करीब 40 एकड़ में ट्रांसपोर्ट नगर बसाने का प्रस्ताव भी पास कराया गया मगर अब सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बरबसपुर से ट्रांसपोर्ट नगर को झगरहा इलाके में शिफ्ट करने की कवायद शुरू की है जिससे यह बवाल सामने आया है।
टीपी नगर बरबसपुर में ही क्यो
ट्रांसपोर्ट बरबसपुर में ही क्यों कही और शिफ्ट करने की बात से ही मंत्री जी इतने उतावले क्यो हैं इसे समझना बेहद जरूरी है दरअसल बरबसपुर का इलाका जहां टीपी नगर प्रस्तावित है वो डंपिंग यार्ड के रूप में उपयोग किया जाता रहा है यानी इस इलाके में शहर भर का कचरा डंप किया जाता है जिसका क्षेत्रफल करीब 70 से 80 एकड़ है नगर निगम के द्वारा इसी इलाके में करीब 40 एकड़ जमीन पर ट्रांसपोर्ट नगर बसाने का प्रस्ताव पास किया गया जिसकी अनुमति कांग्रेस के महापौर रहते टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से भी ली गई यहां तक तो मुद्दा सार्वजनिक हित से जुड़ा हुआ नजर आता है मगर रुकिए क्योंकि ट्रांसपोर्ट नगर भले ही इस इलाके में अब तक नहीं बस पाया हो मगर इस इलाके में शहर के प्रभाव शील व्यक्तियों ने जमीन अपने नाम करा ली है यही नहीं मंत्री जी के रिश्तेदार और उनके बेहद करीबियों ने भी इस इलाके में जमीन की खरीदी कर ली है और ट्रांसपोर्ट नगर इस इलाके में बनते ही उनकी जमीन की वैल्यू कई गुना बढ़ जाएगी बस यही कारण है कि मंत्री जी इस इलाके से ट्रांसपोर्ट नगर के दूसरे इलाके में बनाए जाने के कलेक्टर के प्रस्ताव से ही खासे खफा हैं सूत्रों की माने तो इस इलाके में मंत्री और उनके करीबियों ने जमकर जमीनों की खरीदी की है और अगर बरबसपुर इलाके में ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बस पाता तो उनकी जमीन की वैल्यू जस की तस रह जाएगी शायद इसी चिंता से मंत्री जी सार्वजनिक तौर पर क्या कह गए यह भी उन्हें ख्याल नहीं रहा।
कलेक्टर दूसरी जगह क्यो तलाश रहे जमीन
जब नगर निगम ने प्रस्ताव पास कर दिया तो भला कलेक्टर दूसरी जगह ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन क्यों तलाश रहे हैं जाहिर है यह सवाल सबके मन में आ रहा है ऐसे में इसका जवाब भी जानना बेहद जरूरी है दरअसल बरबसपुर के जिस इलाके में ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन आवंटित की गई है वह इलाका मसाहति इलाका है मसाहती इलाका होने के कारण यहां किसी भी जमीन का कोई भी रिकॉर्ड प्रशासन के पास मौजूद नहीं यही कारण है कि डंपिंग यार्ड की जमीन से ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन चिन्हांकित करने में जिला प्रशासन को खासी परेशानी हो रही है आशंका यह भी है कि यदि 40 एकड़ की भूमि चिन्हांकित की जाती है तो उस इलाके में कई निजी व्यक्ति भी अपनी जमीन होने का दावा कर सकते हैं ऐसे में निजी व्यक्तियों को मुआवजा कैसे दिया जाएगा इसका निर्धारण करना तो मुश्किल है ही साथ ही साथ यदि निजी भूस्वामी अपनी जमीन नहीं देता तो ट्रांसपोर्ट नगर का काम ठंडे बस्ते में चला जा सकता है यही कारण है कि कलेक्टर कोरबा ने ट्रांसपोर्ट नगर को झगरहा इलाके में बसाने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है झगरहा शहर से लगा हुआ इलाका है,, यहां शासकीय जमीन भी बड़ी संख्या में मौजूद है और इस इलाके में ट्रांसपोर्ट नगर के शुरू होने से ट्रांसपोर्टरों के साथ-साथ आम लोगों को भी बेहद लाभ हो सकेगा।
कोरबा में रेंगती है जमीन
जमीन भी रेंगती है यह सुनकर आप चौक गए होंगे मगर कोरबा में यह आम है दरअसल मसाहती गांव उन इलाकों को कहा जाता है जिस इलाके का कोई भी नक्शा या जमीन का रिकॉर्ड प्रशासन के पास मौजूद नहीं और प्रभावशाली व्यक्ति के साथ-साथ जमीन के दलाल इसी का फायदा उठाते हैं अंदर इलाके की कौड़ियों की जमीन रोड पर आकर बेशकीमती हो जाती है और रोड पर स्थित जमीन को अंदर दर्शा कर कौड़ियों का कर दिया जाता है और यही कारण है कि हम कह रहे हैं कि कोरबा में जमीनी रेंगती है आपको जानकर हैरानी होगी कि विभागीय मंन्त्री के जिले में 100 से ज्यादा ऐसे गांव हैं जो अब भी मसाहती गाव हैं यानी इन गांव का कोई भी रिकॉर्ड प्रशासन के पास मौजूद नहीं विभागीय मंत्री के इलाके में राजस्व विभाग की इस लापरवाही पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा या कोई ध्यान देना ही नहीं चाहता यह भी एक बड़ा सवाल है।
कलेक्टर vs विधायक
कोरबा विधायक मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर काम करने वाले अधिकारी यानी कलेक्टर से पहली बार नाराज हो गए हो और उनके बोल बिगड़ गए हो,,, ऐसा नहीं बल्कि विधायक जी का कलेक्टर से विवाद का पुराना नाता रहा है फिर चाहे वह कोरबा कलेक्टर रजत कुमार हो, कलेक्टर पी दयानंद हो, कलेक्टर किरण कौशल हो या फिर कलेक्टर रानू साहू हो ज्यादातर कलेक्टर से विधायक जी का विवाद निजी स्वार्थ से ही जुड़ा रहा है इस बार भी कुछ इसी तरह का मामला नजर आ रहा है क्योंकि ट्रांसपोर्ट नगर से आम लोगों का हित हो ना हो मगर मंत्री जी के करीबी और रिश्तेदारों का हित जरूर हो जाएगा और इस हित पर सार्वजनिक हित को लेकर कलेक्टर का लिया गया निर्णय विधायक जी को कहां रास आने वाला है,,, ऐसे में देखना होगा कि कलेक्टर के तबादले की धमकी विधायक जी पूरा कर पाते हैं या फिर सार्वजनिक क्षेत्र को पूरा कर पाने में कोरबा कलेक्टर सफल हो पाते हैं।
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