जगदलपुर: 5 से 11 जून तक नक्सली जन पितुरी सप्ताह मन रहे हैं इस दौरान वे मुठभेड़ में मारे गए साथियों की याद में श्रद्धाञ्जलि सभाओं का आयोजन करते हैं, ग्रामीणों को संगठन से जोड़ते हैं और उन्हें साथ लेकर हमले भी करते हैं ।
चुनावी वर्ष होने से खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि नक्सली आने वाले 6 महीनों में हमलावर हो सकते हैं ।
नक्सलियों ने टीसीओसी के दौरान 2 साल पहले बीजापुर जिले के टेकुलगुडम में सुरक्षा बल पर बड़ा हमला किया था जिसमें 21 जवांनों की शहादत हुई थी । इसके बाद वे फोर्स के दबाव में बैकफुट पर रहे और छिटपुट घटनाओं से अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे ।
इस बीच लम्बी चुप्पी के बाद 26 अप्रेल 23 में अरनपुर में डीआरजी वाहन को आईईडी ब्लास्ट कर उड़ा दिया था जिसमें 10 डीआरजी जवांनों और एक चालक शहीद हुए थे । यह जगह फोर्स के लिए अत्यंत सुरक्षित माना जाता रहा क्योंकि इस इलाके में हर 5 किमी में फोर्स के केम्प हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने भी चिंता जताई है कि नक्सली बस्तर में बड़े हमले की योजना बना रहे हैं । वे बड़ी मात्रा में गोला बारूद जमा कर रहे हैं। यह आशंका इसलिए भी बलवती होती है क्योंकि हाल ही में तेलंगाना पुलिस ने एक ट्रैक्टर विस्फोटक पकड़ा था ।बयह जानकारी भी मिली है कि तेलंगाना छग के बॉर्डर एरिया में किसी अज्ञात स्थान पर नक्सली ट्रेनिंग केम्प चला रहे हैं । जगाएं नेपाल और अन्य जगहों के ट्रेनर ट्रेनिंग दे रहे हैं। हालांकि बीते वर्षों में नक्सलियों के कोर एरिया में खुले केम्पों के कारण उनकी सक्रियता थमी है। उनको राशन और दवा की आपूर्ति पर भी फोर्स की पानी नजर होने से उन्हें मुसीबतों से दो चार होना पड़ रहा है। उनके बड़े नेताओं की धरपकड़ , मुठभेड़ में हलाक होने और सरेंडर करने का बड़ा असर भी उन पर पड़ा है ।लेकिन बावजूद इन सभी निगेटिव पॉइंट्स के वे हरकतें करने से बाज नहीं आ रहे हैं।आज भी सुकमा और बीजापुर इलाके की सर्चिंग पर निकले जवांनों से मुठभेड़ की खबर है। चुनाव प्रचार के समय अंदरूनी इलकाकों में नक्सली राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों , समर्थकों पर हमले कर सकते हैं ताकि उनका खौफ बना रहे ।कुल मिलाकर सुरक्षा बलों को अभी से एलर्ट मोड़ पर रझा गय्या है क्योंकि जरा सी चूक जान माल का बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। वैसे सच्चाई यह भी है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर काम हुआ है । सड़कें , पुल पुलियोन के निर्माण हुआ है और हो रहा है ।इससे भी हालत बदले हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों के मेप तैयार किये गए हैं जिनके जरिये फोर्स उन तक आसानी और सतर्कता से पहुंच सकती है।वासे भी अब नक्सली दरभा डिवीजन कमेटी और हिड़मा के मिलिट्री दलम तक सिमट गई हैं। जिस दिन इनका खत्म हुआ बस्तर में नक्सलवाद भी खत्म हो जाएगा।
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि नक्सल प्रभावी क्षेत्रों में फोर्स को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है । नक्सलीयों कि जन पितुरी सप्ताह और टीसीओसी क चलते नक्सल विरोधी अभियानों को तेज किया गया है । पिछले चार सालों में नक्सलियों के कोर इलाकों तक केम्प खुलने, आवागमन के साधनों में तेजी से इजाफा होने से उंनकी गतिविधियों में काफी कमी आई है । अब हमने मेप के जरिये इन्हें घेरने की तैयारी भी कर ली है। पर सेल्फ डिफेंस इस ए बेटर डिफेंस के सूत्र को हर वक्त कायम रखना ही होगा।