रायपुर: विधानसभा से आरक्षण विधेयक पारित हुए 20 दिन से भी ज्यादा समय हो गया, लेकिन अब तक आरक्षण बिल राजभवन में ही लटका हुआ हैं। छत्तीसगढ़ में आरक्षण लागू न होने के कारण बहुत सारे भर्ती प्रक्रियाएं और नियुक्तियां रुकी हुई है। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य इलाका हैं औऱ आरक्षण को लेकर आदिवासियों का एक बहुत बड़ा वर्ग इससे प्रभावित हैं। आदिवासी समाज अपने हित औऱ अन्य अधिकार के लिए बहुत समय से आरक्षण की मांग सरकार से कर रहा था। ऐसे में आरक्षण रुक जाना इनकी चिंता का बड़ा कारण हैं। ऐसे में मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम समेत 14 आदिवासी विधायक आज राजभवन पहुँचे।

राजभवन में आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल से चर्चा तो हुई, लेकिन तुरन्त समस्या का समाधान निकल कर नही आया। विधायकों ने राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने का आग्रह भी किया। फिलहाल राज्यपाल महोदया ने स्पष्ट कर दिया हैं कि वे अभी भी सरकार को भेजे गए 10 सवाल का जवाब का इंतज़ार कर रही हैं।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंत्री प्रेमसाय सिंह ने बताया कि राज्यपाल के साथ मुलाकात बहुत सकारात्मक रहा। सभी आदिवासी विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की और विधेयक पर हस्ताक्षर के लिए आग्रह किया। बहुत सारी नियुक्तियां और भर्तियां रुकी हुई है। सरकार से कुछ जानकारियां मांगी गई है जानकारी मिलने के बाद तुरंत साइन करने की बात राज्यपाल ने कही। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भी इस मामले में चिंतित है। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को इस मामले से अवगत कराया है। राष्ट्रपति ने भी राज्यपाल की बातों पर सहमति जताई।

बता दें कि, बीते 20 दिनों से आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नही हुआ है, इस पूरे मामले को लेकर राज्यपाल राष्ट्रपति से भी मुलाकात कर चुकी हैं। हालांकि आपको बता दे कि राज्यपाल ने कहा हैं कि सरकार से सवालों के जवाब मिलते ही हस्ताक्षर कर दूंगी। वहीं, इससे पहले भी राज्यपाल ने कहा था कि विधेयक पास होते ही हस्ताक्षर कर दूंगी। इसी बात को लेकर अब सियासत जारी हैं। फिलहाल ये देखने वाली बात होगी कि आखिरकार आरक्षण विधेयक पर क्या हल निकलता हैं।

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