रायपुर: अक्षय तृतीया के अवसर पर देश-प्रदेश में बड़ी संख्या में विवाह संपन्न होते हैं। इस दौरान बाल-विवाह की आशंकाओं को देखते हुए राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वयं-सेवी संगठनों और आम लोगों से बाल विवाह रोकने की अपील की है।
इस संबंध में मंत्रालय से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, जिला-जनपद के मुख्यकार्यपालन अधिकारियों, जिला कार्यक्रम अधिकारियों सहित बाल विकास परियोजना अधिकारियों को कार्ययोजना बनाकर प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश भी जारी किये गए हैं। बाल विवाह रोकने में सूचना की विशेष भूमिका होती है। जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संगठन, स्वसहायता समूह और आमजन आगे आकर सूचना तंत्र को प्रभावी बना सकते हैं। इसके अलावा बाल विवाह की रोकथाम के लिए किशोरी बालिकाएं एवं किशोरी बालिका समूहों का भी सहयोग लिया जा सकता है। बाल विवाह होने की जानकारी होने पर इसकी सूचना तुरंत अनुविभागीय दंडाधिकारी, पुलिस थाने, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सरपंच, पंचायत सचिव, कोटवार या महिला एवं बाल विकास विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारियों को दें। इसके अलावा चाइल्ड हेल्प लाईन नंबर 1098 या बाल संरक्षण आयोग के टोल फ्री 1800-233-0055 नंबर पर भी सूचना दी जा सकती है।बाल विवाह की जानकारी मिलते ही तत्काल शासन स्तर पर कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग और अन्य शासकीय विभागों के समन्वय से बाल विवाह रोकने टीम तैयार की गई है।
बाल विवाह रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतों में विवाह पंजी संधारित करने और वर-वधू के वैधानिक जन्म प्रमाण पत्र से जन्मतिथि पंजी में दर्ज करने संबंधी निर्देश भी दिए गए हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत 21 साल से कम उम्र के लड़के या 18 साल से कम उम्र की लड़की से विवाह करना या कराना अपराध है। वर या वधु तय आयु से कम होने पर माता-पिता,सगे-संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कार्यवाही हो सकती है। कम उम्र में विवाह होने से बच्चे अच्छा स्वाथ्य, पोषण व शिक्षा पाने के मूलभूत अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। इससे कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर, मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि देखी गई है। इस संबंध में शासन द्वारा परिचर्चा, कार्यशाला और चौपाल के माध्यम से लगातार जनजागरूकता का प्रयास किया जा रहा है।