रायपुर: खनिज राजस्व से प्रदेश के खनन प्रभावित अंचलों में विकास की नई रोशनी पहुंच रही है। इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, अधोसंरचना के विकास कार्यों के साथ-साथ लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के कार्य हो रहे हैं। लोगों को पहले छोटी-छोटी समस्याओं के लिए राजधानी की ओर देखना पड़ता था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन क्षेत्रों में डीएमएफ की राशि के व्यय करने की प्रक्रिया को और अधिक लोकतांत्रिक बनाते हुए, इसके लिए गवर्निंग बाडी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ प्रभावित क्षेत्र के लोगों, महिलाओं की भागीदारी तय की है, इससे लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के कार्य आसानी से हो रहे हैं।

अंतिम चरण पर है, इन प्रावधानों को करने वाला छत्तीसगढ़ देश का प्रथम राज्य है।

डीएमएफ मद से अक्टूबर 2022 की स्थिति में राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना में 233.89 करोड़, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना में 19.16 करोड़, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना में 195.35 करोड़, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना में 0ण्63करोड़, मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालय योजना में 1.38 करोड़, स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना में 196.80 करोड़, गौठान विकास के लिए 170.14 करोड़ रूपए की राशि व्यय की गई है।

डीएमएफ में मुख्य खनिज एवं गौण खनिज के खनिपट्टों, पूर्वेक्षण सह खनिपट्टों से राज्य शासन को प्राप्त रायल्टी की 10 से 30 प्रतिशत राशि जमा हो रही है। राज्य में बढ़ती खनिज क्षेत्र की गतिविधियों से डीएमएफ मद में प्राप्त होने वाली राशि में लगभग दो गुनी वृद्धि हुुई है। पूर्व में डीएमएफ मद में औसत वार्षिक प्राप्ति 1200 करोड़ रुपए थी, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 2199 करोड़ रूपये हो गई है। वर्ष 2022-23 में इस मद में 2400 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है। न्यास में अब तक 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि प्राप्त हो चुकी है।

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