जगदलपुर: बस्तर का कांगेर वैली नेशनल पार्क अपनी जैव विविधता के लिए पूरे देश में पहचाना जाता है. यहां पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव, पक्षियां और पेड़ पौधे भारत में कुछ ही जगहों पर देखने को मिलते है. सैकड़ों एकड़ में फैला हुआ यह पार्क नैसर्गिक खूबसूरती को अपने अंदर समेटे है. यही वजह है कि यहां ऐसे दुर्लभ वन्य जीव देखने को मिलते हैं जो देश मे कुछ जगहों और प्रदेश में यदाकदा कहीं देखने को मिलते हैं ।


कांगेर वेली नेशनल पार्क में चमगादड़ की एक नई प्रजाति मिली है, जो यहां के स्टाफ के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है ।यह बेहद अनोखा चमगादड़ न पूरे काले रंग का नहीं बल्कि नारंगी और काले रंग का है, इस चमगादड़ को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी कलाकार ने बेहद बारीकी से अपनी कारीगरी दिखाते हुए उस पर पेंट कर दिया हो.
इसका खूबसूरत रंग देखकर चमगादड़ो के विषय में फैली सभी नेगेटिव बातेँ बेमानी लगती हैं ।इस नेशनल पार्क में करीब 200 प्रकार के पक्षिया पाए जाने के प्रमाण मिले हैं. इसके अलावा कई प्रजाति के गिरगिट और सांपों को भी यहां देखा गया है. इसके अलावा विदेशी तितलियां भी इस पार्क में मुख्य आकर्षण का केंद्र होती है।

इन दिनों रंग बिरंगा ये चमगादड़ चर्चा में है । पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार रंग बिरंगी प्रजाति के बैट को पेटेंड बैट के नाम से जाना जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम “केरीवोला पिक्टा” है ।बताया जाता है कि ये ज्यादातर सूखे इलाकों या ट्री हाउस में पाए जाते हैं, इनका वजन मात्र 5 ग्राम होता है,। 38 दांतों वाला यह चमगादड़ सिर्फ कीड़े मकोड़े खाता है, चमगादड़ो की यह प्रजाति भारत और चीन समेत कुछ एशियाई राज्यो में पाई जाती है, वही भारत की बात करें तो सबसे पहले इसे साल 2019 में केरल में देखा गया था, जिसके बाद साल 2020 में इसे उड़ीसा में देखा गया, उसके बाद पहली बार इसे बस्तर के कांगेर वैली नेशनल पार्क में देखा गया है, चमगादड़ की दूसरी प्रजातियों के मुकाबले यह पेटेंड बैट बेहद खूबसूरत दिखता है. अधिकांश अन्य चमगादड़ों की तरह पेंटेड बैट भी देर शाम को निकलता है और सक्रिय रहता है क्योंकि जब अंधेरा हो जाता है तब इकोलोकेशन का उपयोग करके यह कीड़ों के लिए शिकार करता है.

इस नेशनल पार्क के क्षेत्र में रहने वाले समाजसेवी शकील रिजवी ने बताया कि इस पार्क में बेहद खूबसूरत और दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं, उन्होंने जब चमगादड़ को देखा तो चमगादड़ को लेकर जिस तरह की उनके मन में नेगेटिविटी थी. एक पल के लिए वह सभी दूर हो गए, नारंगी और काले कलर में खूबसूरत दिखने वाले चमगादड़ ने उन्हें अपनी और आकर्षित कर लिया. उन्होंने बताया कि पार्क के भीतर घने जंगलों में इस दुर्लभ प्रजाति के चमगादड़ को देखा गया है. इनके संवर्धन और संरक्षण के लिए पार्क प्रबंधन को ठोस कदम उठाए जाने चाहिए.

इस नेशनल पार्क के संचालक और DFO गणवीर धम्मशील ने बताया कि नेशनल पार्क में दिखने वाली दुर्लभ प्रजाति की पक्षियां इसके अलावा वन्य जीवो के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार विभाग प्रयास करता आया है. वही चमगादड़ की “केरिवोला पिक्टा” यह प्रजाति नेशनल पार्क में दिखना पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. और निश्चित तौर पर इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभाग द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पक्षियों पर शोध कर रहे हैं वैज्ञानिको के सहयोग से पता लगाया जा रहा है कि इन चमगादड़ो को किस तरह का वातावरण पसंद है और यह खाते क्या है और इनके संख्या में बढ़ोतरी हो और प्रजनन के लिए इन्हें किस तरह का माहौल और वातावरण उपलब्ध हो इसकी भी जानकारी ली जा रही है. ताकि दुर्लभ और अनोखी प्रजाति की यह चमगादड़ इस नेशनल पार्क की शान बने रहें.

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