रायपुर: राज्य में नई शिक्षा नीति के अनुरूप विज्ञान को अनुभव आधारित एवं करके सीखने के उद्देश्य से शासकीय उच्च प्राथमिक और सेकेण्डरी स्कूल के लगभग 100 शिक्षकों को रविवार को एक दिवसीय ऑन डिमांड प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में अवकाश के दिन उन्हीं शिक्षकों को आमंत्रित किया गया, जो विज्ञान में कुछ नया सीखने के लिए आतुर थे और अवकाश का उपयोग कर स्वयं की क्षमता विकास करना चाहते थे। प्रशिक्षण राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस मुम्बई के सहयोग से आयोजित किया गया। सभी प्रतिभागियों को मुम्बई टाटा इंस्टिट्यूट से आए विशेषज्ञों द्वारा फोल्डस्कोप बनाना सीखाया गया। प्रत्येक प्रतिभागी को एक-एक फोल्डस्कोप किट स्कूल में उपयोग हेतु प्रदान किया गया।
फोल्डस्कोप एक पोर्टेबल लेकिन कम लागत वाला और सुलभ ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप है जिसे पारंपरिक माइक्रोस्कोप के विपरित कार्ड स्टॉक की एक छिद्रित सीट से बनाया जा सकता है। 140 के आवर्धन के साथ, फोल्डस्कोप बैक्टिरिया और सूक्ष्म जीवों जैसी छोटी चीजों के साथ-साथ कीड़ों, पौंधों, कपड़ों और ऊतकों जैसे बड़े नमूनों की कल्पना कर सकता है। फोल्डस्कोप इमेजिंग के लिए मोबाइल फोन से भी जुड़ सकता है। यह पोर्टेबल माइक्रोस्कोप वाटरपू्रफ भी है।
कार्यशाला शिक्षण और सीखने के विज्ञान को अधिक समझने योग्य और सीखने के उद्देश्यों की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित होगी और शिक्षकों को विज्ञान विषय को रोचक ढंग से सीखने को बढ़ावा देगी।
महासमुंद जिले से आए शिक्षक प्रवीण कुमार साहू ने कहा कि प्रशिक्षण बहुत ही प्रभावशाली रहा। प्रशिक्षण में फोल्डस्कोप यंत्र को बनाना सीखने के साथ ही इसके द्वारा सूक्ष्म जीवों, तन्तुओं, रेशों इत्यादि को बहुत ही अच्छे तरीके से देखा। इस उपकरण के माध्यम से छात्रों को भी सीखाएंगे। रायपुर के शिक्षक तारकेश्वर डडसेना ने कहा कि शिक्षक सूक्ष्म जीवों को ब्लैक बोर्ड पर चित्र बनाकर दिखाते थे, लेकिन अब फोल्डस्कोप का उपयोग कर बच्चों को सूक्ष्म जीवों को जीवित अवस्था में दिखा सकेंगे। शिक्षक योगेन्द्र कुमार चन्द्राकर ने कहा कि अब वे विद्यार्थियों को विज्ञान शिक्षण के दौरान अधिक सक्रिय रख सकेंगे। विज्ञान की कक्षाओं को बेहतर, प्रभावी और रोचक बना सकेंगे।