रायपुर: पेनिकल माईट के प्रकोप से बचाव हेतु धान फसल में डाइफेनथ्यूरान/डायकोफाल रासायनिक का छिड़काव किया जाना चाहिए। कृषि विभाग जिला रायपुर के उपसंचालक ने बताया कि कुछ जिलों से धान फसल में पेनिकल माईट के प्रकोप की सूचना मिल रही है। रायपुर जिले के क्षेत्रिय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीयों से प्राप्त जानकारी अनुसार धान फसल में पेनिकल माईट से प्रभावित क्षेत्र की जानकारी निरंक है। जिले में निरीक्षण एवं सुझाव हेतु जिला एवं विकासखंड स्तर पर निरक्षण दल का गठन किया गया है जो प्रतिदिन जिले के क्षेत्रिय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीयों से कीट व्याधि की जानकारी लेकर खेतो का भ्रमण कर फसल बचाव हेतु आवश्यक सुझाव किसान भाईयो तक पहुचाई जाती है।
उन्होंने बताया कि यदि धान फसल में पत्तियों में छोटे भूरे धब्बे बनना, दाने अनियमित आकार के होना, दाने कथई होकर दूध भराव रहित होकर पोंचे या बदरा रह जाना, बालियो के दाने तोते के चोंच जैसी आकार ले लेना, पेनिकल माईट के प्रकोप के लक्षण है। ऐसी स्थिति में किसान भाईयों को इससे बचाव एवं सरक्षा हेतु आवश्यक सुझाव दी जा रही है यथा-उर्वरक विशेष कर नाइट्रोजन का संतुलित मात्रा में उपयोग करना, फसल कटाई के बाद फसल अवशेष को मिट्टी में दबा देना, फसल चक्र (विशेष कर दलहनी-तिलहनी फसल) अपनाना, संवेदनशाील किस्म स्वर्णा, कर्मा, मासूरी, महामाया, राजेश्वरी, MTU 1001 धान बीज का बोवाई हेतु चयन ना करें। इसके अतिरिक्त धान फसल में पेनिकल माईट प्रकोप से बचाव हेतु कुछ पेस्टीसाईड का उपयोग कर सकते है जैसे डायकोफाल, डाइफेनथ्यूरान 50% W.P. का 120 ग्राम प्रति एकड़, प्रोपिकोनाजोल 25% E.C. का 200 मिली प्रति एकड़, स्पाइरोमोसिफेन 240 E.C. का 200 मिली. या प्रोफनोफॉस 50% E.C. का 400 मिली प्रति एकड की दर से छिड़काव कर सकते है।