बिलासपुर। रेंजर व व सहायक वन संरक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की मांग को लेकर दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य शासन के कामकाज को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया में राज्य सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है जो नियमों के विपरीत है। ऐसा आचरण ठीक नहीं है। राज्य शासन ने 19 जनवरी 2023 को डिवीजन बेंच के फैसले के बाद उम्मीदवारों की नियुक्ति आदेश जारी किया है। यह निर्णय नहीं लिया जा सकता। मेडिकल कालेज में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए नियुक्ति आदेश जारी किया जा रहा है एक तरफ याचिकाकर्ताओं के साक्षात्कार प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह दोहरा मापदंड है। यह दर्शाता है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन किया जा रहा है।
राहुल सिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं ने अपने वकील के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा है कि चार जून 2020 को जारी विज्ञापन के अनुसार रेंजर एवं सहायक वन संरक्षक की नियुक्ति हेतु छत्तीसगढ वन सेवा (संयुक्त) परीक्षा 2020 उत्तीर्ण की है। विज्ञापन में यह उल्लेख किया गया है कि उम्मीदवार का चयन रिट याचिका के निर्णय के अधीन होगा। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में बताया है कि छत्तीसगढ लोक सेवा (अनुसुचित जातियांे, अनुसुचित जनजाति संशोधन) अधिनियम, 2011 द्वारा छत्तीसगढ लोक सेवा (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछडा वर्ग के लिए आरक्षण) 1994 में किए गए संशोधन जिसमें आरक्षण का अनुपात 50 से बढाकर 58 प्रतिशत कर दिया गया है को चुनौती दी गई थी। इस मामले की सुनवाई 19 सितंबर 2022 को हुई। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अधिनियम 2011 को असंवैधानिक ठहराया है। कोर्ट ने राज्य में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण व्यवस्था को अमान्य कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उन लोगों ने परीक्षा पास कर ली है। नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों का साक्षात्कार 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2022 तक अधिसूचित किया गया था। तत्पश्चात छह अक्टूबर को अधिसूचना साक्षात्कार की कार्यवाही पर राज्य शासन द्वारा रोक लगा दी गयी है। इसी बीच 31 अक्टूबर 2022 को सचिव सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर इस पर रोक लगा दी। याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। इसके बाद भी साक्षात्कार की प्रक्रिया पर राज्य शासन ने अनावश्यक रूप से रोक लगा दी है। राज्य शासन का यह तर्क है कि हाई कोर्ट के फैसले को एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जब तक फैसला नहीं आ जाता आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं की जाएगी।
याचिका में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कई ऐसे भी प्रतिभागी है। जिन्होंने लिखित परीक्षा पास कर ली है और साक्षात्कार के लिए आमंत्रण भी मिल गया है। आरक्षण विवाद के कारण प्रतिभागियों की आयु सीमा पर भी पार होने लगी है। चयन प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं की जाएगी तो आयु पार होने के कारण नियुक्ति से वंचित हो जाएंगे। इससे उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन को चयन प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी है कि चयन प्रक्रिया के अनुसरण में की गई नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट ओर हाई कोर्ट के समक्ष लंबित रिट याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन रहेगी।