कोरबा। धान की फसल पकने के कगार पर हैं। ऐसे में हाथी के दल जंगल छोड़ गांव के किनारे मंडरा रहे हैं। मंगलवार को 44 हाथियों के दल ने ग्राम बनिया पांच एकड़ खेते के फसल को चट कर दिया। सर्वाधिक प्रभावित कटघोरा वन मंडल के पसान और केंदई वन परिक्षेत्र में फसल की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को रतजगा करना पड़ रहा।

बीते वर्ष जुलाई माह से सितंबर माह तक हाथियों ने 1288 किसानों के 2830 एकड़ को नुकसान पहुंचाया था। इस वर्ष उसी अवधि में 1634 किसानों के 3241 एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया हैं। हाथियों का दल इन दिनों धान के खेतों में घुसकर अपनी भूख मिटाने में लगें हैं। किसानों के पास दूर खड़े रहकर खून पसीने से सींच कर लगाए गए फसल को नुकसान होते देखने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। उधर विभाग के कर्मचारी ग्रामीणों को दल से दूर रहने के लिए कह रहे हैं। ग्राम बनिया के पास 44 हाथियों ने डेरा डाल रखा है। तीन दिन पहले दल केंदई जंगल में था। बीते दो दिनों के भीतर हाथियों ने तुलबुल, सेंहा, अमझर के 14 किसानों के 22 एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया है। तुलबुल निवासी किसान राम सिंह का कहना है हाथियों के खाने से अधिक रौंदने से फसल को नुकसान हो रहा है। वन विभाग की ओर से मुआवजा की राशि हो रही नुकसान की तुलना में कम है। खेतों के अलावा हाथी मकानों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। तीन माह के भीतर हाथियों ने 241 मकानों को क्षति पहुंचाया है। जिनके घर पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं उन्हे अपने स्वजनों के घर शरण लेना पड़ रहा। बताना होगा कि प्रभावित गांवों में खेती के प्रति लोगों का मोहभंग होता जा रहा। धान के नुकसान का रकबा साल दर साल बढ़ता जा रहा । सब्जी की खेती भी प्रभावित हुआ है। वन परिक्षेत्राधिकारी धर्मेंद्र चौहान ने बताया कि दल की सतत निगरानी की जा रही है। दिन के समय हाथी एक ही स्थान में रहते हैं। रात होते ही जगह बदलते हैं। हाथियों से सुरक्षित रखने के लिए गावों में लगातार मुनादी कराई जा रही है।

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