छत्तीसगढ़: जशपुर जिले कुनकुरी क्षेत्र में स्थित एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। इस चर्च को इसकी विशालता के लिए महागिरजाघर भी कहा जाता है। खास बात ये भी है कि सालों पहले जब इस चर्च को बनाया गया तब पहाड़ और जंगलों से ये इलाका घिरा हुआ था। चर्च बनने के बाद ही ये कस्बा एक शहर के तौर विकसित हुआ। यहां अस्पताल और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट खुले, फिर बाजार आए, व्यापारी आए और अब यहां 10 हजार से अधिक परिवार रहते हैं।

इस बार इस महागिरजाघर में क्रिसमस का त्योहार सादगी भरे अंदाज में मनाया जा रहा है। जशपुर के बिशप एम्मानुएल केरकेट्टा ने कोरोना महामारी के असर को देखते हुए क्रिसमस पर्व सादगी से मनाने की अपील की है। कैथोलिक सभा प्रतिनिधियों की बैठक में यह तय किया गया। लोगों से सार्वजनिक धार्मिक गतिविधियों में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने, पटाखे न जलाने की अपील की जा रही है।

एशिया का सबसे बड़ा चर्च नगालैंड में है। उसे सुमी बैप्टिस्ट कहते हैं। उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी में बना है। कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबहार में 1917 में इलाके का पहला चर्च बना था। उस वक्त कुनकुरी एक छोटा सा गांव था। कुनकुरी महागिरजाघर बनने के बाद यहां लोयोला स्कूल और हॉली क्रॉस अस्पताल की स्थापना हुई थी।

सात अंक का विशेष महत्व
आपको बता दें कि इस महागिरजाघर में सात अंक का विशेष महत्व है। इस चर्च में सात छत और सात दरवाजे हैं. जिन्हें जीवन के सात संस्कारों का प्रतीक माना जाता है।कैथोलिक वर्ग में 7 नंबर को खास माना गया है, हफ्ते में दिन भी 7 होते हैं, 7वां दिन भगवान का दिन होता है।इस चर्च की 7 छतें एक ही बीम पर टिकी हैं।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!