बिलासपुर: सूर्य उपासना का महापर्व छट सोमवार की सुबह छह बजकर पांच मिनट में सूर्योदय के साथ समाप्त हुआ। व्रतियों ने सूर्यदेव को अर्ध्य देने के साथ पकवानों का भोग लगाया। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव से आशीर्वाद मांगा। सूर्यदेव के साथ श्रद्धालू सेल्फी लेते नजर आए। हर एक पल को कैमरे में कैद करने घाट पर होड़ मची थी।
तोरवा स्थित अरपा छठघाट में सामूहिकता का मनोरम दृश्य नजर आया। उगते हुए सूर्य की किरण (उषा) को सभी ने नमन किया। छठघाट पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बन रही थी। आस्था का ऐसा संगम जिसमें हर कोई डुबकी लगाने आतुर दिखे। लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। भगवान सूर्य की पूजा करने बड़ी संख्या में यहां लोग ठंड के बीच अरपा नदी स्थित छठघाट में पहुंचे। व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से सभी मनोकामना पूरी होती है।
सोमवार की सुबह गाजे-बाजे के साथ लोग दौरा, गन्ना लेकर छठघाट पहुंचे। यहां पहले लोगों ने घाट पर स्थित दौरा का पूजा किया। फिर व्रत करने वाले लोग एक-एक कर घाट के अंदर पानी में गए और कमर तक पानी के बीच डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। मान्यता है कि नई सुहागिनें भी पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए छठ का व्रत रखती हैं। छठ पूजा करने लोग नंगे पैर छठघाट पहुंचे थे। हवन के साथ महापर्व का पारण हुआ। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त हुआ।
आदि व गुड़ से पारायण
सोमवार की सुबह उदयीमान सूर्य देव को अर्ध्य देने के साथ ही व्रतियों का व्रत भी पूर्ण हुआ। व्रती आदी (अदरक)-गुड़ के साथ व्रत का परायण किए। इसके बाद ही छठ मैया के आशीष स्वरूप प्रसाद ग्रहण किए। श्रद्घालुओं को भी प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर दानकर अखंड सौभाग्य का आशीष भी दिया। पाटलीवुत्र संस्कृति विकास मंच और भोजपुरी समाज द्वारा ठेकुआ प्रसाद का वितरण किया गया।
सूर्योदय से पहले दीपदान
भोर में सूर्यदेव के आगमन से पूर्व दीपदान की परंपरा का निर्वाह किया गया। व्रतियों ने संध्या अर्ध्य देने के बाद घाट से जो दीपक अपने साथ घर लेकर गए हैं उसे भी भोर में जल में प्रवाहित कर दीपदान की परंपरा निभाई। व्रतियों के साथ ही अन्य श्रद्घालु भी दीपदान किए। छट समिति द्वारा इस अवसर पर खास इंतजाम भी किया गया था। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा गया।
सेल्फी लेने महापर्व को बनाया यादगर
उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के समय और इसके बाद पूजन सामग्री से सजा दउरा लेकर जाते समय लोगों ने सेल्फी लेकर इन पलों को यादगार बनाते रहे। साथ ही घाट व अन्य जगहों पर उपस्थित अन्य श्रद्धालु व दर्शनार्थी सेल्फी के साथ इस पलों को कैद कर इंटरनेट मीडिया में शेयर करने के साथ ही अपना स्टेटस अपडेट कर खुशियों मनाते नजर आए। व्हाटसएप पर फोटो भी शेयर करते रहे।
भोर में लगा विशेष भोग
व्रत परंपरानुसार जो प्रसाद संध्या अर्ध्य के समय लगता है उसे दोबारा भोर में नहीं लगाया जाता है। इस वजह से संध्या और भोर में अर्ध्य देने के लिए व्रती अलग-अलग प्रसाद की व्यवस्था करते हैं। इससे भोर में ठेकुआ, अनरसा, सलोनी, केला, सेब, अमरूद समेत विभिन्न् प्रकार के पकवान और फलों से सजी प्रसाद की टोकरी लेकर घाट पहुंचे थे। छठ माता को विशेष भोग अर्पित किया गया। पूजा पूर्ण होने के बाद व्रती अपने सिर में पूजन सामग्री से सजा डाला (दउरा) लेकर बैंडबाजे की धुन पर खुशी-खुशी अपने घर के लिए विदा हुए।