दंतेवाड़ा: शनिवार को विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शस्त्र-पूजन कर नगर में पथ संचलन किया। पथ संचलन में बड़ी संख्या में स्वयं सेवकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अयक्षता गुमरगुंडा आश्रम के स्वामी विशुद्धानद सरस्वती ने किया।

गौरतलब है कि बुराई पर अछाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी पर्व पर हर वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देशभर में ध्वजारोहरण, शस्त्रपूजन व पथसंचलन सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करता है। विजयादशमी के दिन ही संघ की स्थापना की नींव भी रखी गई थी इसलिए भी संघ जोर शोर से विजयादशमी उत्सव देश भर में मनाता है। इसी कड़ी में शनिवार 6 अक्टूबर 2022 को दंतेवाड़ा खण्ड में आरएएस ने पथ संचलन कर समाज में एकजुटता और देश की अखंडता का संदेश दिया। शनिवार को दोपहर 3 बजे संघ का कार्यक्रम आंवराभाटा स्थित दुर्गा मंडप स्थल से शुरू हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत ध्वजारोहरण से की गई। शस्त्र पजन उपरांत संघ प्राथना किया गया तदउपरांत सैकड़ों स्वयं सेवकों ने संघ की गणवेश में शारीरिक प्रदर्शन, संघ की शाखाओं में होने वाले दंड, सूर्य नमस्कार, नि:युद्ध आदि का प्रदर्शन किया। जिसके उपरांत खड के स्वयं सेवकों ने बैंड की धुन पर कदमताल मिलाते हुए आंवराभाटा- जीएडी कालोनी, रेल्वे कालोनी, सुरभि कालोनी मार्ग पर पथ संचलन निकाला। पथ संचलन में छोटे स्वयं सेवकोंं की उपस्थिति भी अच्छी-खासी थी। पथ संचलन के दौरान विभिन्न मार्गो, चौक-चौराहों एवं अपने अपने घरों के सामने स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वयंसेवकों का अभिनदन किया। पथ संचलन वापस दुर्गा मंडप स्थल पर आकर संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गुमरगुडा आश्रम के स्वामि विशुद्धानद सरस्वती ने उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करते कहा कि-यह हम सभी सनातनियों के लिए गर्व का विषय है कि विजयादशमी के मौके पर हमें शस्त्रपूजन करने एवं राष्ट्रभक्ति दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ है। शस्त्र-पूजन हमारे धर्मग्रथों में भी बताया गया है। अखड राष्ट्र की परिकल्पना तभी पूरी होगी जब हम शास्त्र के साथ शस्त्र भी अपने हाथों में उठाएंगे क्योंकि असूरी शक्ति उस काल में भी थी और इस काल में भी है। उस समय भगवान ने असूरी शक्तियों पर शस्त्रों का प्रहार कर विजय हासिल किया था। आज हमें भी देश की एकता और अखडता पर रोड़े अटकाने वाले असूरी शक्तियों से मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा । किसी और के लिए धर्म उपर होगा लेकिन हम सनातनियों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। अंत में स्वामी जी ने सभी स्वयं सेवकों को विजयादशमी उसव की शुभकामनाएं दी।

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