कोरिया: कोरिया जिले के ग्राम पंचायत चेरवापारा स्थित मल्टीएक्टिविटी सेंटर में फेंसिंग पोल निर्माण कर महिलाएं लखपति बन रही हैं। दरअसल बात है कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी-गौठान (मल्टीएक्टिविटी सेंटरों) के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को मल्टीएक्टिविटी गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। इसी कड़ी में चेरवापारा के मां अम्बे स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने फेंसिंग निर्माण से 9 लाख रूपए शुद्ध मुनाफा कमाकर लखपति बन गई हैं। मल्टिएक्टिविटी गतिविधियों के माध्यम से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर पूरे प्रदेश की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नए आयाम स्थापित कर रही हैं।
गौरतलब है कि गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के साथ ही मल्टीएक्टिविटी सेंटरों में खाद्य प्रसंस्करण, पोल निर्माण, पेवर ब्लाक निर्माण, ट्री गार्ड निर्माण, किचन गार्डन, टॉयलेटरिज, सैनिटरी नैपकिन, साबुन, डिटर्जेंट निर्माण, सामुदायिक बाड़ी जैसी गतिविधियों से लाखों की आय अर्जित कर रही हैं।
मां अम्बे समूह की महिलाओं ने बताया कि वे चेरवापारा मल्टीएक्टिविटी सेंटर में समूह की पांच महिलाएं फेंसिंग पोल बनाने का काम करती हैं। बीते दो सालों में 8 हज़ार से भी ज्यादा फेंसिंग पोल का निर्माण किया है और कुशल व्यवसायी की तरह उनका विक्रय भी कर रही हैं। समूह की सदस्य श्रीमती विमला राजवाड़े बताती हैं, अब तक 8 हज़ार 880 फेंसिंग पोल का बिक्री कर चुके हैं। इससे समूह को 26 लाख 25 हजार रुपये की आय हुई। इसमें समूह को 9 लाख रुपये का शुद्ध मूनाफा हुआ है। प्रत्येक महिलाओं को डेढ़ लाख रुपये की आमदनी हुई है। विमला बताती हैं कि आजीविका संवर्धन के लिए संचालित इन गतिविधियों से उन्हें जो राशि मिली, वह उनके बूरे वक्त में काम आयी। पति के देहांत के बाद उनके परिवार की आजीविका के साथ-साथ तबियत खराब होने और बेटे की शादी में भी यह रकम काम आयी।
विमला ने बताया कि उनका समूह तीन साल से फेंसिंग पोल निर्माण कार्य कर रही हैं। समूह में उनके साथ राजकुमारी, फुलेश्वरी, किस्मत बाई और लीलावती शमिल हैं। कोरोना काल में काम थोड़ा धीमा रहा। कोरोना में आयी कमी के बाद काम में तेजी लाते हुए पोल बनाना शुरू किया। 1 दिन में महिलाएं लगभग 60 पोल बना लेती हैं। एक पोल की लागत 210 रुपये तक रहती है। एक पोल 270 से 300 रुपये में बेचते हैं। एक पोल पर 80-90 रुपये का मुनाफा हो जाता है। समूह की महिलाएं कहती हैं कि राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं एवं मल्टिएक्टिविटी सेंटर से अब गांव में ही रोजगार मिला रहा है और वे आत्मनिर्भर बन रही हैं।