बिलासपुर. महिलाओं के आरक्षण के संबंध में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. एक महिला अभ्यर्थी की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने कहा है कि महिलाओं के लिए 30 फीसदी से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं है. हाई कोर्ट ने फैसले में वर्टिकल और होरीजेंटल आरक्षण को नए सिरे से स्पष्ट किया है.

एक महिला अभ्यर्थी ने पीएससी 2014 के लिए जारी मेरिट लिस्ट को चुनौती देते हुए वर्ष 2016 में दाखिल थी. इसके मुताबिक पीएससी ने वर्ष 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसमें डिप्टी कलेक्टर के 21 पद शामिल थे. 21 पदों में से 9 पद अनारक्षित, 2 पद एससी, 7 पद एसटी और 3 पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित थे. इसमें से महिला आरक्षण के तहत 2 पद अनारक्षित महिला और 2 पद एसटी वर्ग की महिला प्रतिभागी के लिए आरक्षित थे.

पीएससी के विज्ञापन के अनुसार ओबीसी महिला के पद आरक्षित नहीं थे. चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मेरिट में 10वें नंबर पर ओबीसी वर्ग के प्रतिभागी ओंकार यादव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ था. इसे पीएससी की मुख्य परीक्षा में शामिल रही हिमशिखा साहू ने चुनौती दी थी. उनका तर्क था कि ओबीसी महिला के लिए पद आरक्षित होने पर उनका चयन यादव की जगह होना था. प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला के पक्ष में अंतरिम आदेश दिया था. इस बीच यादव ने जीएसटी डिपार्टमेंट में ज्वाइन कर लिया था. वे वर्तमान में असिस्टेंट कमिश्नर हैं.

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व विभिन्न हाई कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए वर्टिकल, होरीजेंटल आरक्षण को स्पष्ट किया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि वर्तमान में दो तरह के आरक्षण लागू हैं, वर्टिकल और होरीजेंटल. इसमें से वर्टिकल आरक्षण 50 फीसदी अनारक्षित और 50 फीसदी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए है. एससी, एसटी और ओबीसी को वर्टिकल आरक्षण का लाभ दिया जाता है, जबकि शारीरिक रूप से दिव्यांगों को होरीजेंटल आरक्षण का लाभ दिया जाता है.

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!