बलौदाबाजार नगर की 10 वर्षीय सौम्या केसरवानी को बचपन से ही श्रवण बाधिता की समस्या थी। सौम्या की श्रवण क्षमता जन्म से ही 90% कम थी। इस बात को लेकर सौम्या के माता पिता हमेशा तनाव में रहा करते थे। इस संबंध में सौम्या की माता-पिता योगेश एवं गायत्री केसरवानी ने बताया कि, जब सौम्या बहुत ही छोटी थी तब ही हमें यह ज्ञात हो गया था उसकी सुनने की क्षमता अत्यंत अल्प है । वह किसी आवाज इत्यादि पर प्रतिक्रिया नहीं देती थी । जब वह थोड़ी बड़ी हुई तो हमने उसे बिलासपुर में एक निजी अस्पताल में दिखाना शुरू किया और वहां से सुनने के लिए श्रवण यंत्र भी लिया । बाद में एक समान यंत्र समाज कल्याण विभाग द्वारा भी उन्हें प्राप्त हुआ था । क्योंकि छोटी बच्ची की सुनने की क्षमता ना के बराबर थी ऐसे में वह शब्दों को सीख ही नहीं पाई जिस कारण उसे बोलने में असुविधा होने लगी। इस स्थिति में निजी संस्थाओं में इलाज पर बहुत पैसा खर्च भी हुआ करता था। बाद में जिला अस्पताल बलौदा बाजार के स्पीच थेरेपी केंद्र में संपर्क करने पर सौम्या का उपचार शुरू हुआ उस समय सौम्या 7 वर्ष की थी। स्पीच थेरेपी के संबंध में सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार अवस्थी ने बताया कि जिला अस्पताल में स्पीच थेरेपी हेतु एक केंद्र कार्य कर रहा है इसके अंतर्गत विशेषज्ञों की देखरेख में बच्ची की ट्रेनिंग एवं थेरेपी शुरू की गई थी जिससे वह अधिक सहज जीवन जी सके। सौम्या के उपचार से जुड़ी ऑडियोलॉजिस्ट तृषा सिन्हा ने बताया कि इस तरह के लक्षण दिखने वाले बच्चों में बोलना,आँख से आंख मिलाना,उच्चारण पर ध्यान देना सिखाया जाता है। इसके बाद विभिन्न प्रकार की ध्वनि से बच्चों को रूबरू कराया जाता है और धीरे-धीरे शब्दों का उच्चारण सिखाया जाता है फिर सामान्य वाक्य और उसके बाद जटिल वाक्यों को बोलना सिखाया जाता है।पिछले 3 वर्षों की स्पीच थेरेपी लेने के पश्चात आज सौम्या पहले से बेहतर है और वह कई शब्दों का उच्चारण कर लेती है एवं उनके अर्थ भी समझ जाती है। सौम्या के उपचार में नाक ,कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ नेहा गंगेश्री ऑडियोलॉजिस्ट तृषा सिन्हा एवं सहायक गायत्री साहू और स्पीच इंस्ट्रक्टर विनोद देवांगन ने भी सहयोग किया ।

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