जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग मुख्यालय में बने सबसे ऊंचे लाल चर्च कहलाने वाला चर्च अपने आप में ऐतिहासिक है। यह 100 साल से भी अधिक पहले बनी चर्च की इमारत आज तक बिना किसी मरम्मत के शान से खड़ी तत्कालीन इंजीनियरिंग ज्ञान की दुहाई दे रही है।

यह शहर में मौजूद चंदैय्या मेमोरियल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च संभाग का सबसे पुराना चर्च है। जो लाल चर्च के नाम से जाना जाता है।सन 1890 ई में इस चर्च की नींव रखी गई थी.बताते हैं कि तब बस्तर के तत्कालीन महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव ने बाहर से आये मसीही समाज के सीबी वार्ड को लगभग एक हजार एकड़ जमीन दान में दी थी ।जिसके बाद इस कैंपस में हॉस्टल, स्कूल और चर्च बनाया गया।लाल चर्च 1933 ई में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ। मसीह समाज के सदस्य और चर्च प्रॉपर्टी के अध्यक्ष रत्नेश बेजमिन के अनुसार जब इस गिरजाघर को बनाया गया था तब इसमें बेल, गोंद, लुई और चूना से ईंट की जुड़ाई की गई और यह जुड़ाई इतनी मजबूत है कि आज भी चर्च की दीवार में कहीं भी कोई दरार नहीं पड़ी है।

19 वीं शताब्दी में बने इस गिरजाघर में हर साल रंग रोगन के अलावा आज तक कोई कंस्ट्रक्शन नहीं किया गया है. इसकी दीवारों से लेकर इसकी नींव 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है ।जानकार बताते हैं कि इस चर्च में किसी तरह का कोई प्लास्टर नहीं किया गया है, ना ही इस चर्च को बनाने के लिए कोई मशीन का उपयोग किया गया है. यही वजह है कि इस चर्च की दीवार यहां पहुंचने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है. इसके अलावा यहां लगे झूमर भी इतने ही पुराने हैं जितना यह चर्च है ।

रत्नेश बेंजामिन के अनुसार इस चर्च की एक और खास बात यह है कि बस्तर संभाग का सबसे ऊंचा चर्च होने की वजह से इसके शिखर में लगा क्रॉस शहर से 10 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देता है.
इसके अलावा इस गिरजाघर में लगी बेल की आवाज 5 से 10 किलोमीटर तक सुनाई देती है. गिरजाघर में जो बेल लगी है वह भी मेड इन लंदन है.जो 100 साल बाद भी बिना जंग के इस चर्च की शोभा बढ़ा रही है ।

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