नई दिल्ली:कोयला मंत्रालय ने कोयला खनन के लिए पर्यावरण और वन मंजूरी पर आज एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के सहयोग से नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यशाला में कोयला मंत्रालय, एमओईएफसीसी, कोल इंडिया लिमिटेड, एसईसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल, एनएलसीआईएल, एससीसीएल, एनटीपीसी, कोयला नियंत्रक संगठन, निजी कोयला कंपनियों और कोयला खनन क्षेत्रों के अन्य विशेषज्ञों के 175 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया।
कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे और कोयला मंत्रालय के अपर सचिव एवं मनोनीत अधिकारी एम. नागराजू मुख्य अतिथि थे।
अपने उद्घाटन भाषण में एम. नागराजू ने आर्थिक लाभों और पर्यावरण संरक्षण के बीच महत्वपूर्ण संतुलन पर जोर दिया और पर्यावरण की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मंजूरी हासिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री अमृत लाल मीणा ने अपने मुख्य भाषण में स्थिरता के लिए कोयला मंत्रालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने भूमि जीर्णोद्धार और व्यापक वनरोपण कार्यक्रमों पर किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला जो खनन गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रों से आगे निकल गए हैं। उद्घाटन सत्र में कोयला कंपनियों ने अपने-अपने संगठनों द्वारा सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों पर वीडियो प्रस्तुत किए।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वक्ताओं ने नियामक ढांचे, प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं, नीतिगत अपडेट, अनुपालन रणनीतियों और कोयला खनन परियोजनाओं के लिए पर्यावरण और वन मंजूरी प्राप्त करने की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के बारे में अपनी विस्तृत जानकारी साझा की, जिसमें सूचनात्मक सत्रों और इंटरैक्टिव चर्चाओं की एक श्रृंखला शामिल थी।
वन मंजूरी, पर्यावरण मंजूरी, वन्यजीव मंजूरी, मान्यता प्राप्त प्रतिपूरक वनरोपण (एसीए), ग्रीन क्रेडिट और भूजल मंजूरी आदि के लिए एमओईएफसीसी और सीजीडब्ल्यूए बोर्ड के अधिकारियों द्वारा विस्तृत प्रस्तुतियां भी दी गईं।
कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण और वन मंजूरी प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों और सीखे गए सबक व नवीन दृष्टिकोणों पर जोर देते हुए मंजूरी प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने की जानकारी दी। इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र ने कोयला कंपनियों को मंजूरी प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों पर जानकारी और विशेषज्ञ विचार रखने के लिए एक मंच प्रदान किया। इंटरैक्टिव पैनल ने विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
इस कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ अधिकारियों के वक्तव्यों के साथ हुआ, जिसमें मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया तथा पर्यावरण सुरक्षा उपायों को कायम रखते हुए मंजूरी प्रक्रियाओं को और सरल बनाने के लिए आगे की राह बताई गई।