अंबिकापुर।करोड़ों के घोटाला फर्जी दस्तावेज से किया गया था भुगतान में डीएस भगत तत्कालीन चीफ इंजीनियर और राजेश लकड़ा सुप्रीटेंटेड इंजीनियर छ.ग. स्टेट पाडी कंपनी अंबिकापुर और ठेकेदार मैसर्स आर०के० एसोसिएट्स, मेट्रिक सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप के विरुद्ध धारा 156/3 के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में परिवाद पेश कार्यपालन अभियंता (सं/सं)संभाग अंबिकापुर एवं कार्यपालक अभियंता, कार्यालय कार्यपालन अभियंता (शहर) संभाग अंबिकापुर से मिलीभगत कर करोड़ों रुपए की राशि गबन करने एवं फर्जी बिल लगा कर करोड़ों रुपए की राशि की हेराफेरी करने के संबध में एफआईआर दर्ज कराने हेतु परिवाद पेश।

डी०के० सोनी अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट के द्वारा एक धारा 156/3दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में परिवाद पेश किया है जिसमे मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स, मैट्रिक सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप के द्वारा वेतन से ई०पी०एफ० बोनस एवं ई०एस०आई०सी० की राशि में गोलमाल करने तथा फर्जी बिल लगाकर करोड़ों रुपए की राशि निकालने के संबंध में कार्यपालन निदेशक(अ.क्षे.) अंबिकापुर के जांच रिपोर्ट 24 फ़रवरी 2023 के साथ 3000पेज के दस्तावेज के साथ प्रस्तुत किया गया एवं संबंधित अधिकारियों तथा मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स, मैट्रिक सर्विस एवं ग्रुपकृपा के डायरेक्टर/प्रोप्राइटर के विरुद्ध प्रथम सूचना पत्र दर्ज करने का निवेदन किया गया उक्त मामले का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है।

मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स, मैट्रिक्स सर्विस एवं गुरुकृपा ग्रुप के द्वारा वेतन से ई०पी०एफ० बोनस एवं ई०एस ०आई०सी० की कटौती प्रति माह की जाती है लेकिन उक्त कटौती का लाभ बाह्य स्रोत से कार्यरत कर्मचारियों को प्राप्त नहीं होने के संबंध में शिकायत का परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही हेतु लिखा गया था उक्त शिकायत के संबंध में कार्यपालन निदेशक(अ.क्षे.) छ.स्टे.पा.डि.कं.लि. अंबिकापुर में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स अंबिकापुर को चार कार्यादेश जारी किए गए।
प्रथम दोनों एवं चतुर्थ आवेदन आदेशों में प्रभारी अधिकारी (ओआईसी)कार्यपालन निदेशक के कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री एवं अन्य अधिकारी को नियुक्त किया गया था जिसके द्वारा ही आदेश की शर्तों का पालन करवाने एवं देयक पारित करने संबंधित संपूर्ण कार्यवाही किया जाना था जबकि तृतीय आदेश क्रमांक CE/AR/PUR/ORD/1138 दिनांक 16 जनवरी 2021 प्रभारी अधिकारी (ओआईसी) संबंधित कार्यपालन यंत्री अथवा उसके कार्यालय में पदस्थ अन्य अधिकारी को नियुक्त किया गया था।इसी क्रम मेसर्स मेट्रिक सर्विस अंबिकापुर को कार्यपालन निदेशक के कार्यालय के आदेश क्रमांक CE/AR/PUR/ORD/1192 दिनांक 11 अगस्त 2020 द्वारा 150 नग बाह्य स्रोत कंप्यूटर ऑपरेटर नियोजित करने हेतु आदेशित किया गया था इसके साथ ही मेसर्स गुरुकृपा अंबिकापुर को कोई भी कार्यादेश जारी नहीं किया गया था।

माह अगस्त 2020 से माह फरवरी 2022 तक के 14 भृत्यो के देयक एवं भृत्यो की उपस्थिति पंजी की तुलनात्मक आकलन करने पर पाया गया कि ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट्स अंबिकापुर को 4,81,163/- का अधिक भुगतान किया गया है भुगतान से संबंधित नियमावली जारी की गई है जिसके आधार पर ठेकेदार आरए. बिल पारित करने से पहले जांच किया जाना अनिवार्य था लेकिन ठेकेदार द्वारा ईपीएफ, ईएसआईसी का भुगतान किया है कि नहीं भुगतान के चालान की प्रति भी संलग्न किया जाना है साथ ही कर्मचारियों को पे-रोल की प्रति जो कि कार्यालय प्रभारी द्वारा सत्यापित हो, सलंग्न किया जाना है तत्पश्चात ही ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत आरए. बिल को सत्यापन एवं परितीकरण की अग्रिम कार्यवाही किया जाना है एवं प्रत्येक कर्मचारी को निर्धारित बेसिक वेतन का 13.15% ईपीएफ एवं 3.5% ईएसआई कर्मचारी भाग एवं नियोक्ता भाग दोनों का कुल राशि को संकलित कर ठेकेदार को कर्मचारी इपीएफ एवं ईएसआईसी खाते में जमा करना अनिवार्य है उक्त भुगतान संबंधी पूर्ण दस्तावेजों में प्रभारी अधिकारी द्वारा प्रमाणीकरण तत्पश्चात ही ठेकेदार की देयक पारित किया है।
इसके विपरीत देयको के साथ संलग्न ईपीएफ एवं ईएसआईसी चालान को बिना सत्यापित किये अर्थात ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों के खाते में ईपीएफ एवं ईएसआई की राशि जमा की जा रही है अथवा नहीं यह सुनिश्चित किए बगैर ही ठेकेदार का देयक सत्यापित एवं पारित कर दिया गया है‌। पारित देयको के अवलोकन करने पर उक्त नियम एवं शर्तों को ध्यान में ना रखते हुए ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 14 नग भृत्य हेतु प्रस्तुत देयक माह जुलाई 2020, से फरवरी 2021के देयक में ईपीएफ का चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित किया गया है, उक्त अवधि के देयक के साथ ईपीएफ के चालान को बगैर सत्यापित किए देयको को पारित किया गया है। फलस्वरूप ठेकेदार मेसर्स आरके एसोसिएट अंबिकापुर को 1,54,452/- का अधिक भुगतान किया गया इस प्रकरण में ठेकेदार को लगभग 6,35,615/- का अधिक भुगतान किया जाना पाया गया। माह अगस्त 2020 से फरवरी 2022 तक के अवलोकन करने पर पाया गया कि संबंधित फर्म द्वारा देयक के साथ प्रस्तुत 10 नंबर भृत्यो की उपस्थिति पंजी के आधार पर देयक पारित किए गए हैं। संबंधित संभागों से (जहां उपरोक्त आदेश के अंतर्गत भृत्यो की पदस्थापना की गई थी) मासिक उपस्थिति पंजी प्राप्त कर मिलान करने पर पाया गया कि पारित किए गए देयको एवं संभागों से प्राप्त उपस्थिति पंजी में अंतर है।

इस प्रकार माह अगस्त 2020 से माह फरवरी 2022 तक के 10 भृत्यो के देयक एवं भृत्यो की उपस्थिति पंजी के तुलनात्मक आंकलन करने पर पाया गया कि ठेकेदार मेसर्स आर०के० एसोसिएट अंबिकापुर को 13,07,875/- का अधिक भुगतान किया गया है।देयको के साथ संलग्न ईपीएफ एवं ईएसआईसी के चालान को बिना सत्यापित किये अर्थात ठेकेदार द्वारा कर्मचारियों के खाते में ईपीएफ एवं ई एसआई की राशि जमा की जा रही है अथवा नहीं यह सुनिश्चित किए बगैर ही ठेकेदार का देयक सत्यापित एवं पारित कर दिया गया है। पारित देयको के अवलोकन करने पर उक्त नियम एवं शर्तों को ध्यान में ना रखते हुए ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 10 नग भृत्य हेतु प्रस्तुत देयक माह दिसंबर 2020, से नवंबर 2021 के देयक में ईपीएफ का चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित कर संलग्न किया गया है। उक्त अवधि के देयक के साथ संलग्न ईपीएफ के चालान को बगैर स्थापित किए देयको को पारित किया गया है। फल स्वरूप ठेकेदार मेसर्स आर०के० एसोसिएट्स अंबिकापुर को 1,42,598/- का अधिक भुगतान किया गया। इस प्रकार उक्त प्रकरण में ठेकेदार को लगभग 14,50,473/-का अधिक भुगतान किया जाना पाया गया।माह अगस्त 2020 से माह जुलाई 2022 तक के 150 कंप्यूटर ऑपरेटर के देयर एवं कंप्यूटर ऑपरेटरों की उपस्थिति पंजी के अनुसार तुलनात्मक आंकलन करने पर पाया गया कि ठेकेदार मैट्रिक्स सर्विसेज अंबिकापुर को 1,32,52,783/- एक करोड़ बत्तीस लाख बावन हजार सात सौ तिरासी रुपए का अधिक भुगतान किया गया है।पारित देयको के अवलोकन करने पर उक्त नियम एवं शर्तों को ध्यान में ना रखते हुए ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत 150 नग कंप्यूटर ऑपरेटर हेतु प्रस्तुत देयक माह अगस्त 2020, से फरवरी 2021 के देयक में ईपीएफ चालान फर्जी तरीके से परिवर्तित कर संलग्न किया गया है अवधि के देयक के साथ संलग्न ईपीएफ के चालान को बगैर सत्यापित किए देयको को पारित किया गया। फलस्वरूप ठेकेदार मैसर्स मैट्रिक्स सर्विसेज अंबिकापुर को 29,48,036/- का अधिक भुगतान किया गया। इस प्रकार उक्त प्रकरण में शासन के विद्युत कंपनी को लगभग 1,62,00,819/- एक करोड़ बासठ लाख आठ सौ उन्नीस की क्षति हुई।


तीनों प्रकरणों में वास्तविक उपस्थिति पत्रक एवं ई पी एफ, ई एस आई सी के दस्तावेजों के बगैर सत्यापन के देयक पारित करने से फर्म को लगभग 1,82,86,907/- एक करोड़ बयासी लाख छीयासी हजार नौ सौ सात रुपए का अधिक भुगतान होना दृष्टिगत होता है उपरोक्त फर्जी भुगतान करने वाले अधिकारी एवं ठेकेदार की मिलीभगत साजिश है तथा कूटरचित दस्तावेजों को प्रस्तुत कर शासकीय राशि का सुनियोजित तरीके से गबन किया गया है जो कि कार्यपालन निदेशक की जांच प्रतिवेदन से प्रमाणित है इस कारण भुगतान करने वाले अधिकारी डी एस भगत तत्कालीन चीफ इंजीनियर , राजेश लकड़ा तत्कालीन सुप्रीटेंडेन इंजीनियर कार्यालय कार्यपालन निर्देशक छ.ग. स्टे पाडी कंपनी लि अंबिकापुर एवं ठेकेदार के विरुद्ध धारा 409, 420, 467, 468, 120बी भादवीं के तहत अपराध पंजीबद्ध किए जाने हेतु धारा 156/3दंड प्रक्रिया संहिता के तहत परिवाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में 3000 पेज के दस्तावेज के साथ डीके सोनी अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा प्रस्तुत किया गया।

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