
बलरामपुर: बलरामपुर जिले के रामानुजगंज पुलिस ने सहकारिता बैंक में हुए करोड़ों रुपये के गबन के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए फरार आरोपी पंकज विश्वास को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में सहकारिता बैंक, रामानुजगंज में कार्यरत था और उसने अपने साथियों के साथ मिलकर 1.33 करोड़ रुपये का गबन किया था। पुलिस ने इससे पहले घोटाले से जुड़े अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन मुख्य आरोपी पंकज विश्वास लंबे समय से फरार चल रहा था।
कैसे हुआ करोड़ों रुपये का गबन?
रामानुजगंज सहकारिता बैंक में पंकज विश्वास और उसके साथियों ने मिलकर संगठित आर्थिक गिरोह बनाया। बैंकिंग नियमों को ताक पर रखकर, इन्होंने किसानों, समितियों और खाताधारकों के लोन और लाभांश की राशि को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से निकालकर गबन कर लिया। इस गबन के पीछे शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत, केशियर विजय कुमार उइके, केशियर राजेश पाल और पंकज विश्वास के भाई मनोज विश्वासभी शामिल थे।
रामानुजगंज पुलिस ने जब इस मामले की गहराई से जांच की तो पाया कि *गबन की गई राशि से आरोपी के परिवार ने चल संपत्ति खरीदी थी। पुलिस ने पहले ही ट्रैक्टर, ट्रॉली और पिकअप वाहन (कुल कीमत 15 लाख रुपये)जब्त कर लिए थे। मामले में पहले ही शाखा प्रबंधक शंकर राम भगत, विजय उड़के और राजेश पाल*को गिरफ्तार किया जा चुका था।
पांच महीने से फरार था आरोपी, ऐसे हुई गिरफ्तारी
पंकज विश्वास अपराध दर्ज होने के बाद से लगातार 5 महीने तक फरार था। पुलिस उसे पकड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी और उसके छिपने के संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थी। अंततः रामानुजगंज पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि पंकज विश्वास अंबिकापुर में देखा गया है। पुलिस ने तत्काल टीम गठित कर अंबिकापुर में छापेमारी की और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने पंकज विश्वास से पूछताछ की, तो उसने अपने साथियों के साथ मिलकर संगठित रूप से सरकारी धनराशि गबन करने की बात स्वीकार की। उसने बताया कि कैसे फर्जी समितियों के नाम पर चेक बुक और जमा-निकासी पर्चियों का इस्तेमाल करके धनराशि निकाली गई और गबन किया गया। गिरफ्तारी के बाद रामानुजगंज पुलिस ने आरोपी पंकज विश्वास को कानूनी प्रक्रिया पूरी कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक रिमांड पर जिला जेल रामानुजगंज भेज दिया गया।
इस स महत्वपूर्ण कार्रवाई में थाना प्रभारी निरीक्षक रमाकांत तिवारी, उप निरीक्षक गजपति मिरें, प्र.आर. मायापति सिंह, विकास कुजूर, महामाया शर्मा, आरक्षक जगमोहन तिर्की, संदीप जगत, सूरज सिंह, नागेश्वर पोर्ते समेत अन्य पुलिसकर्मियों की अहम भूमिका रही।