पटना: कदमकुआं थाना क्षेत्र में रमेश प्रसाद हत्याकांड और पाटलिपुत्र में पार्षद पति को गोली मारकर जख्मी करने के मामले में पटना पुलिस हवा में तीर मार रही है। अब तक न शूटर को ढूंढ पाई है और न ही साजिशकर्ता की पहचान हो सकी है।दोनों ही गोलीकांड में पुलिस की जांच जहां से शुरू हुई थी, वहीं घूम रही है। कहा जा रहा है कि दोनों ही वारदातों को सुपारी देकर शूटरों से अंजाम दिलाया गया था। सीसीटीवी फुटेज में शूटर दिख रहे हैं। देखने से स्पष्ट है कि वे पेशेवर हैं, लेकिन हुलिए से भी उनकी पहचान नहीं हो पा रही है।

एप के माध्यम से पुलिस ने पटना जिले के एक हजार से अधिक अपराधियों का डाटा तैयार किया था, लेकिन इन शूटरों को पकड़ने में तकनीक भी विफल साबित हो रही है। एसएसपी राजीव मिश्रा ने बताया कि दोनों ही मामलों को गंभीरता से लिया गया है। अलग-अलग टीमें बनाकर अनुसंधान जारी है।

वार्ड पार्षद सुचित्रा सिंह के पति नीलेश कुमार पर जानलेवा हमला करने का कारण पुरानी रंजिश और बालू का कारोबार बताया जा रहा है। स्वजन का कहना है कि बालू घाट का ठेका मिलने के बाद विरोधी अधिक सक्रिय हो गए थे। उन्हें हमले को लेकर पूर्व से आशंका थी, इसलिए उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी।

पुलिस ने बालू के ठेके को ही जांच का आधार माना, लेकिन अब तक हमले के पीछे की साजिशकर्ता का पता नहीं चल पाया। फुटेज में एक हमलावर का चेहरा भी दिख रहा है, मगर पुलिस उसकी शिनाख्त नहीं कर पाई है। इधर, अस्पताल में उपचाराधीन नीलेश की हालत चिंताजनक बनी है। उन्हें बेहतर इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा गया है।

24 जुलाई को कदमकुआं के नागाबाबा ठाकुरबाड़ी रोड में मोबाइल दुकानदार रमेश प्रसाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कहा जा रहा है कि उन्होंने पुरानी अरविंद महिला कॉलेज गली में एक जमीन खरीदी थी। जिसे लेकर विवाद चल रहा था।

विवाद का कारण क्या और किससे था? इसकी जानकारी भी पुलिस को नहीं मिल पाई है। इसके अलावा भी कोई कारण हो सकता है, पुलिस इससे अनभिज्ञ नजर आ रही है। शूटर पटना के थे या दूसरे जिले के, इस पर भी संशय बरकरार है। पुलिस की कार्यशैली से रमेश के स्वजन असंतुष्ट हैं। हालांकि, पुलिस ने रविवार की देर रात नया टोला इलाके से एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है।

24 जून को वार्ड पार्षद राहुल यादव के भाई अनिल यादव पर चार की संख्या में रहे हमलावरों ने 16 राउंड फायरिंग की थी, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे। इस मामले में पुलिस ने रोशन को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाकी तीन अन्य हमलावरों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला।

गिरफ्तार राहुल भी केवल एक साथी झम्मू का नाम बता पाया था। उसने बताया था कि झम्मू के माध्यम से अनिल की हत्या की सुपारी मिली थी। हालांकि, साजिशकर्ता कौन है ये उसे मालूम नहीं था। डेढ़ महीने बाद भी न तो झम्मू पकड़ा गया और न ही साजिश बेनकाब हो पाई है।

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