कोरबा। भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने कहा कि एक ओर वे अपनी भूमि के अधिग्रहण के बाद रोजगार और पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं, दूसरी ओर ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में कोयला मंत्री के गेवरा आगमन पर एसईसीएल के सीएमडी, बोर्ड मेंबर्स का जबरदस्त विरोध करने की तैयारी शुरू हो गई है। कोयला मंत्री के साथ बड़ी संख्या में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के अधिकारियों के आगमन की खबर लगते ही भूविस्थापितों ने लामबंद होकर “सीएमडी और बोर्ड मेंबर” को काले झंडे दिखाकर गो बैक के नारे लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भूविस्थापितों के रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर इस क्षेत्र में लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। कुसमुंडा में भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के बैनर तले

अनिश्चितकालीन धरना को 1255 दिन पूरे हो चुके हैं। भूविस्थापितों की समस्या को लेकर चर्चा के लिए समय मांगने पर सीएमडी और डीपी द्वारा समय भी नहीं दिया जाता है। कोयला मंत्री के साथ सीएमडी और एसईसीएल के अन्य अधिकारियों के साथ यह दौरा कोयला उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से हो रहा है, क्योंकि पिछले दो सालों से इस क्षेत्र में कोयला उत्पादन लगातार बाधित हो रहा है और उत्पादन लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इस दौरे की खबर लगते ही भूविस्थापित आक्रोशित हो गए। उनका कहना है कि रोजगार दिए बिना कोयला उत्पादन के लक्ष्य को पूरा नहीं होने देंगे।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु,सुमेंद्र सिंह ने कहा है कि एसईसीएल प्रबंधन को उत्पादन बढ़ाने से पहले भूविस्थापितों के समस्याओं का समाधान करना होगा, अन्यथा कोयला से जुड़े किसी भी अधिकारी और कोयला मंत्री के दौरे का भी विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक ओर वे अपनी भूमि के अधिग्रहण के बाद रोजगार और पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं, दूसरी ओर ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों की इस नीति का हर स्तर पर पुरजोर विरोध किया जाएगा। भूविस्थापितों ने कहा कि पिछले चार दशकों से भूविस्थापित रोजगार के लिए एसईसीएल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन बहुत सारे नियमों का हवाला देते हुए उन्हें रोजगार देने से इनकार किया जा रहा है।

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