बलरामपुर: कार्यालय न्यायालय कलेक्टर ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रकरण की सुनवाई करते हुये, एक बुजुर्ग पिता के पक्ष में फैसला सुनाया है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मृतक शिक्षक श्री रामदास के स्वत्वों के भुगतान की राशि का 50 प्रतिशत व मासिक वेतन का 50 प्रतिशत उसके वृद्ध पिता धर्मदेव को वरिष्ठ नागरिक माता-पिता भरण पोषण अधिनियम 2007 की धारा-4 के तहत प्रदाय किया जाये।
दरअसल विकासखण्ड कुसमी के ग्राम बकसपुर निवासी रामदास की नियुक्ति शिक्षा विभाग में बतौर सहायक शिक्षक(एल.बी.) के पद पर 02 मार्च 2009 को हुई थी और 06 मार्च 2020 को रामदास का निधन हो गया। इस दौरान शिक्षक रामदास सबाग संकुल के प्राथमिक शाला चरहु में पदस्थ थे। रामदास के निधन के बाद शिक्षा विभाग में अनुकम्पा सहित मृतक के स्वत्वों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र को लेकर रामदास की पत्नी फिलोमिना व उसके पिता श्री धर्मदेव के समक्ष विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी, जिसके बाद उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के लिए प्रकरण कार्यालय न्यायालय कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
ज्ञातव्य है कि उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय में मृतक रामदास के पिता धर्मदेव उपस्थित हुये। धर्मदेव ने न्यायालय को बताया कि उसका भरण-पोषण का एकमात्र सहारा उसका पुत्र रामदास ही था और रामदास ही उसकी देखरेख किया करता था, लेकिन उसकी मृत्यु के बाद धर्मदेव के समक्ष बढ़ती उम्र के चलते जीविकोपार्जन के लिये परेशानी उत्पन्न हो गई है। धर्मदेव ने न्यायालय को बताया कि उसकी बहू फिलोमिना अपने मायके में रहती है, और यदि स्वत्वो का भुगतान उसकी बहू को किया जाता है, तो उसे किसी प्रकार का राहत नहीं मिल पायेगा। धर्मदेव ने न्यायालय से मांग की कि उसे उसके पुत्र की मिलने वाली स्वत्वों की राशि का कुछ हिस्सा दिया जाये, तत्पश्चात् न्यायालय कलेक्टर ने प्रकरण के गवाहों व मृतक की पत्नी फिलोमिना का भी पक्ष सुनते हुये कहा कि वरिष्ठ नागरिक माता-पिता भरण पोषण अधिनियम 2007 की धारा-4 में निहित प्रावधानों के तहत मृतक की स्वत्वों के भुगतान की राशि का 50 प्रतिशत व मासिक वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा उसके पिता को आजीवन प्रदाय किया जाये और दोनों पक्षो में न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले पर आपसी सहमति बन गई। न्यायालय के इस निर्णय से निर्मित हुई विवाद की स्थिति का निपटारा हो गया और एक पिता तथा एक पत्नी को उचित न्याय मिल सका।
इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान न्यायालय कलेक्टर विजय दयाराम के. ने बताया कि वरिष्ठ नागरिक माता-पिता भरण पोषण अधिनियम 2007 की धारा 4 के तहत आवेदन पत्र दे सकता है। कलेक्टर द्वारा बताया गया कि बुजुर्गों की फाईनेंसियल सिक्योरिटी, मेन्टनेन्स(जिन्दगी जीने के लिये खर्च) और प्रोटेक्शन देने लिये वरिष्ट नागरिक माता पिता भरण पोषण अधिनियम 2007 लागू किया गया है।