नई दिल्ली। चुनावी साल में बिजली को लेकर राजनीति बढ़ने की संभावना के बीच केंद्र ने राज्यों के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकारों की तरफ से घोषित बिजली सब्सिडी की राशि डिस्कॉम को समय पर नहीं दी जाती है तो इसके लिए संबंधित अधिकारी को दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह घोषणा स्वयं केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में की। सिंह नए बिजली कानून, 2024 के नियमों की ड्राफ्ट अधिसूचना को जारी करने के अवसर पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।यह बिजली संशोधन विधेयक, 2022 का स्थान लेगा जो अभी संसदीय समिति के पास विचाराधीन है। आर के सिंह के मुताबिक, “यह बिजली विधेयक एक नई बिजली व्यवस्था बनाने के लिए है, यह एक अत्याधुनिक भारत के लिए है।” नया नियम देश में बिजली उत्पादन के लिए लाइसेंस लेने की मौजूदा व्यवस्था को काफी बदल देगा। इसके मुताबिक 25 मेगावाट तक बिजली उत्पादन करने वाली किसी भी कंपनी या व्यक्ति को लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। इनके लिए अपनी बिजली को ग्रिड से कनेक्ट करने, उसका संचालन करने या उसकी बिक्री करने के लिए भी लाइसेंस नहीं लेना होगा।

बिजली उत्पादन कंपनियों के हितों का ध्यान रखते हुए उत्पादित बिजली की न्यूनतम कीमत तय करने की सीमा तय की गई है। वहीं ग्राहकों के हितों को देखते हुए डिस्कॉम के लिए बिजली की अधिकतम शुल्क भी तय करने की व्यवस्था है।इस नियम के जरिए पहली बार देश के बिजली सेक्टर में ओपेन एक्सेस (ग्राहकों के लिए अपनी पसंद के बिजली उत्पादन कंपनी से बिजली खरीदने की सहूलियत) को लागू करने की व्यवस्था है। बिजली मंत्री के मुताबिक, हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि ओपेन एक्सेस के तहत प्रतिस्पर्द्धी दर तय हो ताकि ग्राहकों को इसके लिए ज्यादा कीमत अदा नहीं करनी पड़े।

इसके लिए ओपेन एक्सेस को तय करने वाली दूसरे शुल्कों जैसे एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने की लागत, ट्रांसमिशन लागत या अन्य संबंधित शुल्कों को कम रखने की व्यवस्था है।अभी कई राज्यों की बिजली नियामक एजेंसियों ने ओपेन एक्सेस के लिए काफी ज्यादा शुल्क तय कर रखा है। हालांकि इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि बिजली संयंत्रों को उनकी बिजली की पूरी कीमत मिले व बिजली खपत करने वाले बड़े उद्योगों को उचित कीमत पर बिजली मिले।

अगर राज्य सरकारें सब्सिडी देती हैं तो उन्हें बिजली की लागत के आधार पर ही देनी होगी। यानी बिजली डिस्कॉम को उसकी तरफ से वितरित बिजली की पूरी कीमत मिलेगी।

‘देश में रिनिवेबल बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर पांच लाख कर दी जाएगी’
बिजली मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 वर्षों में देश के बिजली सेक्टर में कुल 16.93 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है और 17.05 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है। वर्ष 2030 तक देश में 80 हजार मेगावाट की नये ताप बिजली संयंत्र लगाने की घोषणा भी उन्होंने की।

इस दौरान देश में रिनिवेबल बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर पांच लाख कर दी जाएगी। इससे बिजली उत्पादन क्षमता में ताप बिजली की हिस्सेदारी 53 फीसद से घट कर 35 फीसद हो जाएगी। भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता मौजूदा 4.28 लाख मेगावाट से बढ़ कर 8.0 लाख मेगावाट हो जाएगी।

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