प्रशासनिक उपेक्षा और राजनीतिक संरक्षण के चलते नगर में अवैध कब्जे का खेल जोरों पर


कुसमी/कुंदन गुप्ता: नगर पंचायत स्थित राजस्व विभाग के भूमि पर में अतिक्रमण बेतहाशा बढ़ रहा है।अतिक्रमणकारियों पर नकेल कसने में नगर पंचायत अथवा प्रशासनिक अमला कितना सक्रिय है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलेक्टर के निर्देश के बाद नगर से अवैध अतिक्रमणकारियों को नहीं हट सका हैं। पड़ोसी प्रांत झारखंड, बिहार व पं.बंगाल से यहां आकर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर मकान बनाने का काम धड़ल्ले से चल रहा है। मामले की शिकायत कई बार की गई। हर बार जांच के लिए टीम व नोटिस जारी किया गया लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि न तो कब्जा हटा और न ही अतिक्रमण पर रोक लगाने कोई ठोस पहल हुई। एकादुक्का कार्यवाही करके मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता हैं।

नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत 15 वार्ड आते हैं जो नगर की सीमा पर स्थित वार्ड क्रमांक 1, 2, 3, 4, 5, 6, 9 और 10 में बड़ी मात्रा में शासकीय जमीन स्थित है। इन वार्डों में नजूल एवं राजस्व विभाग की भूमि के अलावे वन विभाग के छोटे झाड़ की भूमि पर भी बखौफ कब्जा किया जा रहा है। इस भूमि को प्लाटिंग कर टुकड़ों में योजनाबद्घ ढंग से बेचा जा रहा है। नगर के बेशकीमती भूमि पर पिछले 3 वर्षों से झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित अन्य क्षेत्रों से आकर बेधड़क शासकीय जमीनों को कब्जा कर पक्का मकान बनाकर निवासरत हो चुके हैं। शिकायतों पर हाल ही में बलरामपुर कलेक्टर कुंदन कुमार ने एसडीएम, तहसीलदार सहित नगर पंचायत के अधिकारियों को निर्देशित किया था कि नगरीय क्षेत्र मे अतिक्रमण ना फैलने दिया जाए। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हुए। अधिकारियों द्वारा करीब पांच मकान व आहता को ढहाया गया। इसके बाद यहां अतिक्रमणकारियों को ढील दे दी गई। इसका नतीजा यह निकला कि यहां फिर पहले जैसे हालात बन गए हैं। चर्चा है कि जब कलेक्टर के आदेश का ही नगर में पालन नहीं हो रहा है तो फिर अतिक्रमण पर कैसे लगाम लगेगी।अतिक्रमणकारियों की तादात लगातार नगर में बढ़ती जा रही है। नगर पंचायत द्वारा यहां अतिक्रमण पर सख्ती से कार्रवाई नहीं की जाती है इसीलिए अतिक्रमणकारियों के हौंसले बढ़ते जा रहे हैं।

कब्जा करके प्लाटिंग का कारोबार जोरों पर

सरकारी जमीन के रकबा को बी-वन और खसरा में दर्ज भी लेन-देन कर किया जा रहा है। इसमें अधिकारी-कर्मचारियों के साथ भू-माफिया की भी मिलीभगत है। जानकारों के मुताबिक नगर के किसी भी जगह का कोई एक खसरा नंबर और उसके रकबा को सेटलमेंट के समय और आज के समय से मिलान करें तो काफी मात्रा में यह रकबा बढ़ा हुआ मिलेगा, जिसका स्थानीय रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्री भी किया जा चुका है जबकि खसरा नंबर का हजारों बटांकन हो सकता है, परंतु रकबा सेटलमेंट के समय का ही रहेगा। दूसरे राज्यों से आकर जो लोग पूर्व में अवैध कब्जा करके निवासरत है, उनके द्वारा अलग-अलग के स्थानों में धीरे-धीरे ओर कब्जा करके प्लाटिंग करके बाहरी लोगों को धड़ल्ले से बेचा व बसाया जा रहा है।


कर्मचारियों की मिलीभगत से बिजली, पानी एवं अन्य सुविधा ले रहे अतिक्रमणकारी

नगरीय क्षेत्र में लगातार हो रहे अतिक्रमण को लेकर अधिकारी-कर्मचारियों सहित नगर पंचायत ने चुप्पी साध रखी है। स्थिति यह है कि अतिक्रमणकारियों को बिजली-पानी की भी सुविधा मिल रही है। शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने वालों को शासकीय योजनाओं का भी लाभ जमकर ले रहे है। इनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बन जाते हैं। नगर पंचायत और राजस्व विभाग मिलकर पहचान पत्र बनाते हैं। इसी पहचान पत्र से वितरण कंपनी द्वारा बिजली कनेक्शन भी दे दिया जाता है। वही दूसरे राज्यों से आकर कब्जा करके बसने वाले लोगों से पुलिस विभाग भी परेशान है। कब्जाधारियों द्वारा बेतहाशा शासकीय जमीन में कब्जा किया जा रहा हैं। इनसे अपराध बढ़ रहे हैं परंतु अभी तक किसी भी तरह का कब्जाधारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों की इस अनदेखी से अतिक्रमणकारियों का दायरा लगातार बढ़ रहा है। इन दिनो नगर पंचायत के पीछे व सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल के आस-पास बड़ी तेजी से अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमाना शुरु कर दिया है। इस अतिक्रमण पर रोक लगाने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। लगातार हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ नगर पंचायत बौना साबित हो रहा है।


उमा सिंह, तहसीलदार| कई जगहों का अतिक्रमण प्रकरण दर्ज किया गया है। समाधान शिविर से बाद अभियान चलाकर कार्यवाही की जाएगी

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