नई दिल्ली: तमाम प्रयासों और निर्णयों से जिन खेत-खलिहान में भाजपा अपनी चुनावी जमीन पक्की मान रही है, विपक्षी दल उसे ही कच्ची जमीन समझकर दंगल सजाने के लिए आंदोलनकारियों के पीछे हो लिए हैं। विपक्षी दलों की ओर से किसान संगठनों के आंदोलन को भरपूर हवा दी जा रही है, वहीं भाजपा का दस के दम यानी मोदी सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल में किसानों के हित में लिए गए निर्णयों पर पूरा भरोसा है। विपक्षी धार को कुंद करने के लिए भाजपा ने किसानों के घर-घर दस्तक के अलावा इंटरनेट मीडिया पर भी मोर्चा संभाल लिया है।
हर वर्ग में अपनी पहुंच बढ़ाने के साथ ही मोदी सरकार ने गांव, गरीब और किसान को अपनी प्राथमिकता में रखा। 11 करोड़ से अधिक किसानों को सम्मान निधि सहित कई निर्णयों से भाजपा ने ग्रामीणों-किसानों में अपनी पैठ बढ़ाई, जिसका परिणाम 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखाई दिया। भगवा दल के लिए मजबूत हो चुके किसानों के वोटबैंक में सेंध लगाने की जगत एक बार फिर से शुरू हुई है। इंटरनेट मीडिया पर भी विपक्षी दल सक्रिय हैं और भाजपा को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यूपीए सरकार बनने पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा कर किसानों को आकर्षित करने का प्रयास किया है। वहीं, दूसरी केंद्र सरकार किसानों से बातचीत जरूर कर रही है, लेकिन संगठन आंदोलन को लेकर संशकित कतई नहीं है। पदाधिकारियों का कहना है कि आज तक किसी सरकार ने मोदी सरकार के बराबर काम किसानों ने लिए नहीं किया है। यह किसान आम किसान जानते हैं और किसान मोर्चा की ग्राम परिक्रमा यात्रा के माध्यम से फिर से उनका प्रचार गांव-गांव, घर-घर जाकर किया जा रहा है।इसके साथ ही भाजपा ने ‘अन्नदाता का सम्मान’ हैशटैग से मोदी सरकार के निर्णय इंटरनेट मीडिया पर गिनाते हुए भी मोर्चा संभाल लिया है।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत 60 की उम्र पार कर चुके किसानों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन। 23.38 लाख किसानों ने कराया पंजीकरण। प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना को कैबिनेट की मंजूरी। वित्त वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए 2400 करोड़ रुपये का आवंटन। दुग्ध उत्पादन में हुई 61 प्रतिशत की वृद्धि। सोलर पंप पर अनुदान मिलने से बढ़ी पंपों की संख्या। 1992 से 2014 तक 0.116 लाख तो 2014 से 2023 के बीच लगे 5.3 लाख सोलर पंप। प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों के निर्यात में दोगुणी बढ़ोतरी। 2014-15 की तुलना में 2022-23 में निर्यात दर 13.7 प्रतिशत से बढ़कर हुई 25.6 प्रतिशत। खाद्य उत्पादन क्षमता में 15 गुणा की वृद्धि। 2014 में 12 लाख मीट्रिक टन तो 2023 में 200 लाख मीट्रिक टन पहुंचा उत्पादन। चना, मसूर, जौ आदि के न्यूनतम समर्थन में मूल्य में बढ़ोतरी।किसानों से फसल की सरकारी खरीद 40 प्रतिशत बढ़ी। 2014-15 में यह 759 लाख मीट्रिक टन थी, जबकि 2023 में 1063 लाख मीट्रिक टन। किसानों को दिए जाने वाले संस्थागत ऋण में 195 प्रतिशत की वृद्धि।