जगदलपुर: आपने काले कौवे तो बहुत देखे होंगे लेकिन आपके शहर के पास दलपतसागर से लगे धरमपुरा इलाके में सालभर से एक दुर्लभ सफेद कौवा घूम रहा है। यह कौवा आम कौवे के साथ ही रहता है। इसकी उपस्थिति पर जीव विज्ञानी सालभर से नजर रखे हुए हैं। लगातार शोध के बाद अंतरराष्ट्रीय साइंस जर्नल एंबियंट साइंस में इसका विवरण भी प्रकाशित किया गया। धरमपुरा क्षेत्र बड़े पेड़ों से भरा है। कच्चे से लेकर पक्के मकान तक हैं। जहां इनके रहवास की अच्छी सुविधाएं हैं।

एक्सपर्ट व्यू: जानिए, ये कौवा क्यों है सफेद
पीजी कॉलेज के जीव विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील दत्ता के मुताबिक संभवत: छत्तीसगढ़ का यह पहला मामला है। ल्यूसिस्टिक का मतलब रंग कणिकाओं का कम होना होता है। मिलेनिन कणिकाएं पंख और चमड़ी में कम हो जाती हैं इससे ये सफेद दिखते हैं।

इनकी सुरक्षा और बचाव जरूरी
पक्षी विज्ञानियों के मुताबिक इनकी आवाज में भिन्नता महसूस की जाती है लेकिन रिकॉर्डिंग यंत्र से अध्ययन की जरूरत है। ये देश के कई भाग में मिल चुके हैं।

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