अम्बिकापुर: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अन्तर्गत केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता द्वारा घुनघुट्टा जलाशय अम्बिकापुर में आदिवासी मछुआरों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए पेन कल्चर प्रदर्शन सह जागरूकता कार्यक्रम 29 से 31 मई 2023 तक घुनघुट्टा जलाशय में आयोजित किया गया। मछलीपालन उप संचालक ने बताया है कि प्रथम दिवस पेन कल्चर हेतु उपयुक्त स्थान का चयन किया गया। द्वितीय दिवस जलाशय में 0.40-0.40 हेक्टेयर के दो पेन कल्चर स्थापित किया गया। तृतीय दिवस 31 मई 2023 को कतला प्रजाति की 10000 नग (5 से 8 ग्राम) साइज का फिंगरलिंग मछली बीज का स्टॉक किया गया।


केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता से प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए.के. दास द्वारा बताया गया कि अगर (5-8 ग्राम) मछली बीज सीधा जलाशय में संचय करते है तो मांसाहारी मछलियाँ खा जाती है, जिसमें उत्पादन में कमी आती है। परन्तु पेन तकनीक से 5 से 8 ग्राम तक मछली को पेन में संवर्धन करने पर दो महिने में 25 से 30 ग्राम तक हो जाती है, उसके पश्चात जलाशय में छोड़ने पर आकार में बड़ी होने के कारण मांसाहारी मछली नहीं खा पाती है जिसमें मछली की उत्पादन में वृद्धि होती है एवं पेन कल्चर के माध्यम से मछली पालन करने पर लगभग 25 लाख तक का अतिरिक्त मुनाफा होता है। इसके अन्तर्गत आदिवासी मछुआ सहकारी समिति कलगसा को 01 नग नाव एवं मत्स्य आहार प्रदाय किया गया। पेन कल्चर गतिविधियों की ऐसी पहल छत्तीसगढ़ के अन्य 9 जलाशयों में भी केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता द्वारा विभिन्न जिलो में मछली पालन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के साथ समन्वय के साथ स्थापित किया गया है।

इस कार्यक्रम में डॉ. ए. के. दास प्रधान वैज्ञानिक, सुरज चौहान, सनीगधो देवदत्ता शोध विद्यार्थी, एस. के. अहिरवार, उप संचालक मछली पालन, श्रवण कुमार एवं अभिषेक वर्मा मत्स्य निरीक्षक अम्बिकापुर एवं लुण्ड्रा तथा समिति के सदस्य एवं ग्रामवासी उपस्थित थे।

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