बलरामपुर।बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक अंतर्गत इंद्रावतीपुर कुछ कंपनियों के द्वारा खनिज का सर्वेक्षण किया जा रहा है। जिसमें ग्रामीणों ने कंपनी से सर्वे के प्रमाण मांगे जाने पर चुप्पी साध ली। कंपनी के द्वारा ग्रामीण के निजी भूमि पर चुना गिरा रहे व मशीन से सर्वे का काम शुरू कर रहे थे।जैसे ही लोगों ने देखा तो भूस्वामी के द्वारा एग्रीमेंट, पंचायत प्रस्ताव, एनओसी दिखाने को कहा। किंतु कंपनी के द्वारा कोई दस्तावेज नहीं दिखाया गया। जैसे ही लोगों ने मोबाइल कैमरा चालू किया तो उन्होंने विडीयो नहीं बनाने की सिफारिस करते हुऐ मौके से चले गए।
सूचना के बाद सर्व आदिवासी समाज के यूवा प्रभाग जिला अध्यक्ष व सोसल एक्टिविस्ट अमित सिंह ने मौके पर पहुंचे। लोगों ने बताया कि दो तीन सालों के अंदर कई ट्रक खनीज का उठाव हो चुका है। फिर से खनन के लिए सर्वे करने आए थे। भविष्य को देखते हुए अमित सिंह ने जल जंगल जमीन और खनीज बचाने के लिए दल का गठन किया। श्री सिंह ने कहा कि कंपनी के पास ग्राम पंचायत का एनओसी, ग्राम सभा का प्रस्ताव और निजी भूस्वामी का एग्रीमेंट नहीं है, लोगों के जमीन पर सर्वे कराना और खनीज उठाने की तैयारी हो रही है यह गांव के लोगो की जीविका में प्रहार है। गांव के लोग खेती पर निर्भर रहते हैं दिनों दिन लोगों के पास खेती का जमीन कम होते जा रहा है जिससे लोगों की आजीविका खत्म हो जाएगा। हमारा दल जल जंगल जमीन और खनीज को बचाने के लिए सदैव तैयार रहेंगे। श्री सिंह ने संचार टुडे सीजीएमपी न्यूज़ से बात करते हुऐ बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के सड़क से 10 मीटर बगल में खनीज का उठाव हुआ है। ग्राम के कच्ची सड़क से 2 मीटर किनारे गड्ढा खोद कर खनीज का उठाव हुआ है। छत्तीसगढ राजपत्र में प्रकाशित गौण खनिज नियम 2015 के विरुद्ध है। कंपनी के खनिज उठाने के बाद 25 से 40 फिट तक गड्डा छोड़ दिया गया है, ग्रामीण मधु सिंह के गाय गिरने से मौत हो चुका है। उस रास्ते लोगों का आवागमन बना रहता है जिससे बड़ी दुर्घटना होने शंका बना हुआ है।
बगैर सहमति किसी प्रकार नहीं होगा कार्य : सरपंच
ग्राम पंचायत के सरपंच मोहन सिंह ने कहा कि मुझे किसी प्रकार लिखित सूचना नहीं दिया गया, गांव के बगैर सहमति बिना खनीज उत्खनन, पूर्वेक्षण कार्य नहीं होगा।
ग्रामीणों के सवाल पर तहसीलदर मौन
समझाइस देने वर्तमान रामचंद्रपुर के तहसीलदार मौके पर पहुंचे थे। ग्रामीणों ने निजी भूस्वामी के बगैर एग्रीमेंट, ग्रामसभा का बगैर सहमति पर हो रहे कार्यों पर सवाल किए तो नहीं दिए जवाब। उल्टा ग्रामीणों को चमकाने लगे इससे ग्रामीण आक्रोश में आ गए, बिगड़ते माहौल देख तहसीलदार मौके से भागे।