अंबिकापुर: आरोपियों द्वारा माह दिसम्बर 2021 से अपने 12 अन्य साथियों के साथ बलरामपुर जिले में -रामानुजगंज, राजपुर और बाड्रफनगर में कलिंग एग्रो बिजनेस के नाम से ऑफिस खोलकर रामानुजगंज, बसंतपुर द बाड्रफनगर, त्रिकुण्डा, शंकरगढ़ और राजपुर थाना क्षेत्रों के गायों में घुम घुम कर लोगों को अलग-अलग प्रजातियों के पौधे बेचकर और उसके देख-रेख करने के नाम से पहचान बनाए माह जनवरी 2022 से अप्रैल 2022 तक सभी आरोपीगण चाड्रफनगर, राजपुर एवं रामानुजगंज में 03 अलग-अलग कैंप बनाकर पौधे बेचने एवं उसकी देखरेख करने का झासा देकर लोगों को बहला-फुसलाकर पहचान बनाते रहें, मई 2022 में आरोपीगण ने सभी पीडितों से यह कहा हम लोग कलिंग एग्रों के नाम से ऑर्गेनिक खाद आप लोगों को देगें जिसका पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर डीलरशिप नियुक्त किया जाना है जिसमें प्रति बोरा बिक्री पर 40 रूपये कमिश्न तथा गोडाउन का किराया पृथक से एवं मोबाईल खर्चा तथा अन्य फायदें दिए जाएंगे साथ ही ब्रिकी के आधार पर पंचायत स्तर पर प्रतिमाह 10 हजार, ब्लॉक स्तर 15000 हजार एवं जिला स्तर पर 22000 रूपये मिलेंगे जिसके लिए आप लोगों को सिक्योरिटी मनी के रूप में आयी रकम अभी देनी होगी शेष रकम खाद डम्प होने के पश्चात देना होगा ब्रिकी का काम हमारे आदमी करेंगें आप लोगों को केवल सप्ताह में 01 बार हिसाब-किताब की देख-रेख करनी होगी। साथ ही इस ही खाद के डी.ए.पी. / यूरिया भी लाकर देंगे जिसे आप बेचकर पैसा कमा सकते हैं। इसके लिए आरोपीगण ने बकायदा एग्रीमेन्ट पेपर तैयार कर प्रार्थियों को दिया गया।

आरोपियों द्वारा रामानुजगंज में कम्पनी का ऑफिस खोलकर मकान मालिक से एग्रिमेंट तैयार किया और इसही के आधार आरोपी चर्मेन्द्र के नाम से अधिकापुर में जी.एस.टी. में विधिवत कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया और धर्मेन्द्र के नाम से ही बैंक ऑफ बडीया, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक, एच.डी.एफ.सी. बैंक रामानुजगंज में फर्जी आधार कार्ड के आधार पर खाते खोले गए इसके समानांतर ही जिला कोडरमा झारखण्ड राज्य में फार्मिंग एग्री कंपनी के नाम से ऑफिस खोला गया साथ ही आई.डी.बी.आई. बैंक कोडरमा में भी खाता खोला गया आरोपी द्वारा पीडितों को झांसा देने के लिए कलिंग एग्रो के नाम से वेबसाइट भी बनाई गई जिसका पता भुवनेश्वर ओडिसा बताया गया।

इसके पश्चात् सभी आरोपीगण उपरोक्त चाना क्षेत्रों के अलग-अलग गांवों में जाकर पीडितों से संपर्क किए और पंचायत, ब्लॉक, जिला स्तर का डीलर नियुक्ति करने झांसा देकर एग्रीमेन्ट कर के लगभग 150 पीडितों से पांच लाख रूपये से लेकर 10 हजार रूपये तक चैक एवं यू.पी.आई के माध्यम से उपरोक्त खातों में जून माह की 15 तारीख तक के लगातार जमा कराते रहे एवं प्रार्थियों को यह विश्वास दिलाते रहे कि जून माह के मध्य में खेती किसानी का समय आएगा उसी समय आप लोगों को खाद की डिलेवरी कर दी जाएगी। 15 जून तक उपरोक्त खातों में लगभग 90 लाख रूपये जमा हो चुके थे बारिश होते ही जब पीडित खाद और बीज के लिए आरोपियों के दिए गए नंबरों पर फोन कर खाद बीज के लिए पूछने लगे तब सभी आरोपी धीरे-धीरे अपने-अपने मोबाईल बन्द कर और सारा सामान लेकर और ऑफिस में ताला लगाकर फरार हो गए। आरोपियों के मोबाईल नंबर बंद होने से पीडितों को अपने साथ ठगी होने का एहसास हुआ तब जाकर पीडितों ने संबंधित थाना क्षेत्रों में ठगी की सूचना दी और पुलिस अधीक्षक बलरामपुर से मिलकर घटना के संबंध में अवगत कराया।

अपराध की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिरीक्षक, सरगुजा रेंज अजय यादव, पुलिस अधीक्षक बलरामपुर मोहित गर्ग द्वारा संबंधित थानों में तत्काल अपराध दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए तथा अति. पुलिस अधीक्षक प्रशांत फततम एवं अति. पुलिस अधीक्षक सुशील नायक व अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर अनिल विश्वकर्मा के मार्गदर्शन में तत्काल 04 टीमे सायबर सेल प्रभारी निरीक्षक रमाकांत साहू के नेतृत्व में गठित की गई जिसमें थाना प्रभारी शंकरगढ़ उप निरीक्षक अमित गुप्ता, थाना प्रभारी रामानुजगंज, चौकी प्रभारी उप निरीक्षक विनोद पासवान एवं चौकी प्रभारी बारियों रजनिश सिंह, थाना प्रभारी पस्ता निरीक्षक संतराम आयाम एवं सायबर टीम को शामिल किया गया

आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु पीडितों के बताए हुलिए एवं जानकारी के आधार पर बलरामपुर जिले के समस्त थाना क्षेत्रों एवं सरहदी जिलें सूरजपुर के प्रतापपुर, लटौरी, धौरपुर, औडगी और सरहदी राज्य झारखण्ड के गढ़वा, लातेहार एवं कोडरमा जिलों से पीड़ितों की जानकारी लेकर आरोपियों के संबंध में लगातार जानकारी जुटाई गई। पीड़ितों से मोबाईल नंबरों, बैंक खाता, जी. एस. टी. नंबर किराया नामा, पीडितों से किए गए डीलर एग्रीमेन्ट के दस्तावेज का सूक्ष्म अवलोकन कर सायबर सेल की टीम द्वारा तकनीकी जानकारी एवं साक्ष्य जुटाए गए और आरोपियों के द्वारा बैंकों में खाता खोलने एवं जी.एस.टी. नंबर प्राप्त करने हेतु उपयोग में लाये गए आधार कार्ड एवं पेन कार्ड फर्जी पाए गए। आरोपियों द्वारा जो बैंक खाता खोला गया उसमें संबंधित बैंकों द्वारा आधार कार्ड का सत्यापन किए बिना खाता खोल दिया गया जिस पते पर ऑफिस खोलकर जी. एस. टी. नंबर प्राप्त किया गया था वहाँ पर कलिंग एग्रो का ऑफिस भी नहीं था, मकान मालिकों द्वारा बिना थाने में सूचना दिए औन बिना तस्दीक किए मकान किराये में दिया गया। आरोपियों द्वारा सुनियोजित तरिके से रामानुजगंज, वाड्रफनगर व राजपुर में मकान किराया लिया जाकर अपना कार्यालय बताया गया और सभी आरोपीगण 05-06 की टीम में तीनों स्थानों में बटकर आस-पास के गांव में घूम-घूम कर जनवरी 2022 से जून 2022 तक लगातार ठगी करते रहे।

विवेचना के दौरान सभी टीमों को पता चला कि आरोपियों द्वारा जो नाम पते पीडितों को बताए गए थे वह सभी फर्जी थे. आरोपियों द्वारा पीड़ितों को अनुज सिंह, रश्मिरंजन सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, वीर सिंह, राजू सिंह, सोहन चौहान, रोशन यादव, रजनीकांत यादव, रंजन जायसवाल, विनय त्रिपाठी, अमित यादव, मुकेश कुशवाहा, सुधीर सिंह, सुनील सिंह, आकाश सिंह, विक्रम सिंह, उमेश चौहान, सचिन कुशवाहा आदि नामों का उपयोग किया गया तथा सभी के नाम से फर्जी

आधार कार्ड बनाए गए उपरोक्त आरोपियों केवल धर्मेन्द्र सिंह का नाम सही होना पता चला सायबर सेल की तकनीकी जानकारी के आधार पर आरोपियों का उत्तर प्रदेश के मउ, बनारस, गाजीपुर, आजमगढ़, महाराजगंज, गोरखपुर, रायबरेली, बलिया एवं दिल्ली तथा ओडिसा का होना पता चला। तत्पश्चात् तत्काल 01 टीम उप निरीक्षक अमित गुप्ता के साथ मठ, बनारस, गाजीपुर रवाना किया गया, जहाँ पर तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर सबसे पहले मउ के अमित सिंह को पकड़ा गया जो अपराध से बचने के उद्देश्य से पुलिस टीम से लगातार अपराध में शामिल होने से इंकार करता रहा परंतु तकनीकी साक्ष्य के आधार पर उसका झूठ ज्यादा देकर नहीं टिक सका और अपराध करने के तरीके और गिरोह (शामिल 07 लोगों की जानकारी दिया आरोपी ने बताया वह अपनी असली पहचान छुपा कर अनुज सिंह बनकर रामानुजगंज में रुका था।

अमित सिंह उर्फ अनुज सिंह से पूछताछ के दौरान पता चला कि सम्पूर्ण गिरोह का मास्टरमाइन्ड पुरी ओडिसा निवासी रंजीत स्वाई है जो बलरामपुर जिले में रश्मिरंजन के नाम पर रूक कर ठगी कर रहा था अमित सिंह ने बताया कि उसने ही धर्मेंद्र सिंह को दिल्ली से बुलाकर रंजीत स्वाई से मिलाया था उसी के नाम पर कलिंग एग्रो कंपनी खोलकर कंपनी का प्रोपराईटर बनाया अमित के द्वारा ही घटना में प्रयुक्त सभी मोबाईल सिम फर्जी नाम पते पर एक्टीवेट कराया में था और आरोपियों को दिया गया था जिससे आरोपी पकड़े न जा सकें। ठगी की रकम रंजीत स्वाई के पास होना बताया रंजीत के साथ ही ठगी की घटना में शामिल इसका सगा भाई अजीत सिंह भी है जो रामानुजगज में वीर सिंह के नाम पर रह रहा था साथ ही यह भी बताया कि धर्मेन्द्र सिंह वर्तमान में नरेला, दिल्ली या कुण्डली सोनीपत हरियाणा में छिया हुआ है। आरोपी धर्मेन्द्र सिंह की तलाश हेतु एक टीम उप निरी० विनोद पासवाल एवं उप निरी० रजनीश सिंह दिल्ली हरियाणा भेजी गई रंजीत और अजित को फरार होकर ओडिसा की ओर जाना बताया जिस पर तत्काल उप निरी० अमित गुप्ता को टीम के साथ ओडिसा रवाना किया गया जहाँ पर आरोपी के हुलिए एवं अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर ग्राम नीमपाड़ा के पास घेराबंदी कर आरोपी द्वारा घटना में प्रयुक्त सफेद उस्टर वाहन सहित पकड़ा गया आरोपीगण रंजीत और अजीत पुछ ताछ के दौरान लगातार अपनी पहचान छुपाते रहे घटना में शामिल होने से इंकार करते रहे परंतु पुलिस की सख्ती और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर ज्यादा देर नहीं टिक सके रंजीत ने बताया कि वह वर्तमान में मउ में निवास करता है, जहाँ पर इसकी पहचान अमित सिंह, अजीत सिंह, राजविजय उर्फ राजू सिंह सोहन चौहान उर्फ मकेश कुशवाहा, दीपक यादव, योगेश यादव, उमेश चौहान, विनय त्रिपाठी, आकाश सिंह, विक्रम सिंह, सचिन कुशवाहा, रंजन जायसवाल उर्फ रामाषीश गुप्ता आदि से हुई जो पूर्व में बिहार, म.प्र. और पश्चिम बंगाल में इस तरह की ठगी वारदात कर चूके थे। उपरोक्त सभी आरोपियों को लेकर रंजीत स्थाई माह दिसंबर 2021 को रामानुजगंज आया जहाँ पर अमित सिंह की मदद से रामानुजगंज के धर्मशाला में 02-03 दिन रूक कर आस-पास की रेकी कर और उपयक्त स्थान देखकर कलिंग एग्रो के ऑफिस के लिए मकान किराए में लिए तत्पश्चात सभी आरोपियों द्वारा अलग-अलग टीमों में बटकर रामानुजगंज, बाड्रफनगर और राजपुर में रहकर आस पास के गांव में उगी करने लगे साथ ही साथ तीन टीमें झारखण्ड के कोडरमा जिले में भी इसही तरह की ठगी करते रहें।

आरोपी रंजीत स्वाई एवं अजित सिंह के पूछताछ कर उन्होंने ने स्वयं का मास्टरमाइन्ड होने से इंकार किया और धर्मेन्द्र सिंह को घटना का मास्टरमाइन्ड होना बताया गया अभी तक की पूछताछ में आरोपियों द्वारा ठगी गई रकम के संबंध में जानकारी होने से इंकार करते रहे और स्वंय को ठगी की रकम का मात्र कुछ हिस्सा मिलना बताया इत्यादि।

दौरान लगातार 05-06 दिनों की मेहनत के पश्चात् दिल्ली /हरियाणा गई टीम को आरोपी धर्मेन्द्र सिंह को कुण्डली हरियाणा से पकड़ने में सफलता मिली। आरोपी धर्मेन्द्र सिंह गिरफ्तारी के डर से दिल्ली एवं हरियाणा में लगातार स्थान बदल-बदल कर रह रहा था। आरोपी धर्मेन्द्र सिंह से पूछताछ किये जाने पर उसने भी घटना का मास्टरमाइन्ड होने से इंकार किया और ठगी की रकम में मात्र हिस्सा मिलना तथा अमित सिंह और रंजीत स्वाई को ही घटना का सूत्रधार बताया पुलिस को लगातार गुमराह करने से अमित सिंह का पुनः पुलिस रिमाण्ड प्राप्त कर सभी आरोपियों को

आमने-सामने बैठा कर तकनीकी विश्लेषण के आधार पर सख्ती से पूछताछ की गई तब उसने मास्टरमाईन्ड महाराजगंज निवासी 01 व्यक्ति का होना बताया (विवेचना की दृष्टि से आरोपी के नाम का खुलासा नहीं किया जा रहा है)। रंजीत और अन्य सभी आरोपियों से पूछताछ में बताया महाराजगंज निवासी मास्टरमाइन्ड द्वारा ही इन सभी को बलरामपुर जिले में भेजा गया था उसके ही द्वारा कलिंग एग्रो के नाम से फर्जी वेबसाईट बनाई गई थी और ठगी का तरीका उसके द्वारा ही बताया गया था उसके कहने पर रंजीत द्वारा कलकत्ता एवं अन्य स्थानों से पौधा मांगा कर ग्रामीणों को बेचा जाता था जिसका भुगतान मास्टरमाइन्ड द्वारा किया जाता था। ग्रामीणों से प्राप्त रकम को धर्मेन्द्र सिंह के खाते में चैक एवं यूपीआई के माध्यम से जमा कराया जाता था मास्टरमाइन्ड को यह शंका थी कि पीडितों से नगद रकम प्राप्त करने से उनके विरूध धोखाधड़ी की जा सकती थी इसलिए खातों में ही रकम पीडितों से ली गई थी मास्टरमाइन्ड के कहने से रजीत स्वाई द्वारा धर्मेन्द्र सिंह से संबंधित बैंक खाता का चैक बुक एवं एटीएम प्राप्त कर एवं चैक बुक में धर्मेन्द्र सिंह का पूर्व में हस्ताक्षर प्राप्त कर लिया गया था ताकि धर्मेन्द्र सिंह की अनुपस्थिति में रकम की निकासी सेल्फ चैक माध्यम से की जा सके धर्मेन्द्र सिंह से 01 प्राधिकार पत्र बैंक से रकम निकासी के संबंध में प्राप्त कर लिया गया था। रंजीत स्थाई, राजू उर्फ राजविजय यादव एवं अजित सिंह एवं योगेश यादव द्वारा बैंक में जमा रकम की अलग अलग समय में लगातार सेल्फ चैक एवं विड्रोल पर्ची एवं एटीएम कार्ड के माध्यम से रकम निकासी की गई साथ ही यूपीआई के माध्यम से बैंक ऑफ बडोदा से उत्कर्ष स्मॉल बैंक में रकम ट्रांसफर की गई यहाँ से भी सेल्फ चैक एवं विड्रोल पर्ची के माध्यम से रकम निकासी की गई आरोपी मास्टरमाइन्ड बहुत ही शातिर है उसने अपनी पहचान छुपाने के उद्देश्य से टीम के रंजीत स्वाई, अजित सिंह और अमित सिंह से मुलाकात एवं बातें की ताकि उसे कोई न पहचान सके मास्टरमाईन्ड के कहने पर पीडितों की जमा रकम लगातार बैंक एवं विड्रॉल पर्ची के माध्यम से निकाल कर रंजीत स्वाई मास्टरमाइन्ड को महाराजगंज से बुलाकर दे देता था ठगी गई कुछ रकम लगभग 90 लाख रूपये में से लगभग 50 लाख रूपये मास्टरमाइन्ड स्वंय लेकर गया शेष लगभग 40 लाख रूपये टीम के अन्य सदस्यों में उनके भूमिका के अनुरूप कम या ज्यादा रंजीत स्वाई द्वारा वितरीत किया गया। आरोपियों द्वारा उ.प्र. के विभिन्न जिले में जमीन फय में निवेश किये जाने की जानकारी मिली है। धर्मेन्द्र के बैंक खाते का एटीएम कार्ड भी रंजीत स्थाई एवं उसके साथियों द्वारा रख लिया गया था और फरार होने के पश्चात् बनारस, गाजीपुर, महाराजगंज, गढ़वा एवं अन्य स्थानों से लगातार निकासी की गई है।

मास्टरमाइन्ड इतना शातिर है कि वह जैसे ही रकम इकट्ठा होता था वैसे ही रामानुजगंज या कर नगद रकम निकासी करा कर ले जाता था। अब तक आरोपियों के 25 से अधिक बैंक खातों का होना पता चला है जिसे पुलिस द्वारा होल्ड कराया जा रहा है। गिरोह अभी तक कुल 16 आरोपियों का शामिल होना पता चला है जिसमें से 05 आरोपी अब तक गिरफ्तार किए गए है शेष आरोपी गिरफ्तारी हेतु 03 टीमें लगातार उ.प्र. एवं बिहार में छापेमारी कर रही है। आरोपियों द्वारा बहौत ही शातिराना तरीके से फर्जी सीम चालू कराकर एवं छद्म नामों का उपयोग कर अपराध को अंजाम दिया गया परन्तु बलरामपुर पुलिस ने सूझबूझ एवं तकनीकी साक्ष्य संकलन कर गिरोह का पर्दाफाश किया गया।

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