रायपुर: छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद आई पीढ़ी ने अब तक केवल यहां का ही गेड़ी नृत्य देखा होगा लेकिन राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के मौके पर इस पीढ़ी को मध्यप्रदेश के लोकनर्तकों द्वारा किया गया गेड़ी नृत्य भी देखने का सुअवसर मिला। गेड़ी नृत्य भी इस मामले में खास कि इसमें हमारे पंथी नृत्य की तरह ही पिरामिड बनाते हैं। लोक नर्तकों द्वारा पारंपरिक वाद्ययंत्रों से जब शैला गेड़ी नृत्य का आगाज किया गया तो पूरी सभा में समां बंध गया। जब लोक कलाकार पिरामिड के रूप में उठे तो जनसमूह झूम उठा। इसमें महिला नर्तकों के सिर में एक के बाद एक घड़े थे और उनके ऊपर दीपक। इस नृत्य के लिए जो संतुलन चाहिए था वो अद्भुत संतुलन इन लोककलाकारों में नजर आ रहा था। बड़ी सहजता से एक के बाद एक लोककलाकार पिरामिड बनाते गये और देखने वाले झूम गये। साथ ही इनकी पोशाक भी खास चटखीले रंगों वाली रही जो पूरे नृत्य का आकर्षण। इसके साथ ही इन लोककलाकारों ने धुरवा नृत्य भी किया। लोक संगीत और नृत्य स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ जब प्रदर्शित किये गये तो अद्भुत दृश्य उपस्थित हुआ और लोगों ने इसे काफी सराहा।