बलरामपुर: महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक स्थिरता देने की दिशा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी ग्राम सुराजी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी अंतर्गत बाड़ी विकास में जिला बलरामपुर-रामानुजगंज की महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं जुड़कर स्वरोजगार के नए आयाम बुन रही हैं। कलेक्टर विजय दयाराम के. के मार्गदर्शन में जिले में संचालित गौठानों को मल्टीएक्टिविटी सेन्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। गौठानों में संचालित सामुदायिक बाड़ी योजना से जुड़कर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आज हर दिशा में अग्रणी है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण जाबर स्थित आदर्श गौठान में संचालित सामुदायिक बाड़ी है। सामुदायिक बाड़ी का संचालन रोशनी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा रबी फसल में पालक के बीज का प्रत्यारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है इसके साथ ही आलू, टमाटर, विंस, बरबट्टी और पालक जैसी साग-सब्जियों का उत्पादन कर रोजगार उन्मूलक गतिविधियों का संचालन कर रही हैं। जाबर गौठान में समिति के द्वारा मुर्गी पालन, बटेर पालन, गोबर खरीदी, सरसों तेल मिल, वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण और मशरूम का उत्पादन भी किया जा रहा है।
विकासखण्ड बलरामपुर के जाबर गौठान में संचालित सामुदायिक बाड़ी में स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने पालक के बीज प्रत्यारोपण का कार्य उद्यान विभाग के मार्गदर्शन में प्रारंभ किया है। उद्यान विभाग के द्वारा सामुदायिक बाड़ी जाबर में नोडल के तौर पर नियुक्त श्री आर. पी. वर्मा ने बताया की इस वर्ष समूह की महिलाओं के द्वारा आल ग्रीन किस्म के पालक के बीज का उत्पादन किया जा रहा है, जिसे रजिस्ट्रेशन पश्चात् उद्यान विभाग इन बीजों को खरीदेगा, जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाओं को दोगुनी लाभ की प्राप्त होगी। उन्होंने बताया की जाबर सामुदायिक बाड़ी का कुल रकबा 3 एकड़ का है जिसमे 1.5 एकड़ में सब्जी का उत्पादन तथा कुछ क्षेत्र में पशुओं के चारे के लिए नेपियर घास लगाया गया है एवं बाकी बचे क्षेत्र में जनपद मद के द्वारा तालाब के निर्माण कार्य चल रहा जिसमें आने वाले दिनों में मछली पालन की कार्ययोजना बनायी जा रही है। रोशनी महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य कमली ने बताया कि वह पिछले 3 सालों से समूह की सक्रिय सदस्य है, सामुदायिक बाड़ी के माध्यम से 40 से 50 हजार रूपए प्रतिवर्ष अतिरिक्त आय अर्जित कर रही है, जिससे उन्होंनें अपने बच्चों को अच्छी स्कूली शिक्षा एवं अपने परिवार का पालन-पोषण में सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि बाडी में इसके अलावा टमाटर, आलू, विंस, पालक, बरबट्टी, और पपीता की खेती तैयार है इससे आने वाले दिनों में उत्पादन भी मिलने लगेगा। इस योजना से जुड़कर महिलाएं अपने निवास स्थान से रोजगार मूलक गतिविधियों को संचालित करने में कामयाबी हासिल की है, महिलाओं में पारम्परिक रूप से ग्रामीण उद्यमियता को विकसित करने का अच्छा विकल्प मिला है। ग्रामीण महिलाओं ने इन संसाधनों का बखूबी उपयोग किया है, जिले के विभिन्न गौठानों में नवाचार के माध्यम से अनेकों आजीविका मूलक गतिविधियों के संचालन की शुरुआत हुई है।