नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज पुरुषइंद्र कुमार कौरव की अध्यक्षता में एक न्यायाधिकरण का गठन किया है जो इस बात का फैसला करेगा कि स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत प्रतिबंधित ग्रुप घोषित करने के पर्याप्त कारण हैं या नहीं।

केंद्र सरकार ने सिमी पर लगाए गए प्रतिबंध को 29 जनवरी को पांच और वर्षों के लिए बढ़ा दिया था। तब सरकार ने कहा था कि यह ग्रुप आतंकवाद को बढ़ावा देने और देश में शांति एवं सद्भाव बिगाड़ने में शामिल रहा है। 10 राज्यों ने सिमी को यूएपीए के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित करने की सिफारिश की है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

गौरतलब है कि सिमी को सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गैरकानूनी घोषित किया गया था और तब से उस पर प्रतिबंध को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।

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