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बलरामपुर। दिवाली हिंदू संस्कृति के बड़े त्योहारों में से एक है और इसे पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लोगों को हर साल दिवाली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. अमावस्या पर पड़ने वाले इस त्योहार को अंधेरे पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, बुराई पर अच्छाई की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक माना जाता है. आज है दिवाली (When is Diwali in 2021)इस वर्ष दिवाली 4 नवंबर गुरुवार को मनाई जा रही है. दिवाली 2021 अश्विन (7वें महीने) की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (28वें दिन) से शुरू होती है और कार्तिक (8वें महीने) की शुक्ल पक्ष द्वितीया (दूसरा दिन) को समाप्त होती है. दिवाली पूजा करने का सबसे शुभ समय सूरज के डूबने के बाद का माना जाता है. इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त एक घंटे 55 मिनट की अवधि के लिए रहेगा. ये शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक चलेगा. आइए जानते हैं कि दिवाली 2021 पर किस तरह करना चाहिए मां लक्ष्मी का पूजन, क्या सामग्री है जरूरी और क्या है पूजा का विधान.
दिवाली पूजा सामग्री (Diwali 2021 Laxmi Pujan Samagri)
एक लकड़ी की चौकी. चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा. देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र. कुमकुम चंदन हल्दी रोली अक्षतपान और सुपारीसाबुत नारियल अपनी भूसी के साथअगरबत्तीदीपक के लिए घीपीतल का दीपक या मिट्टी का दीपककपास की बत्तीपंचामृतगंगाजलपुष्पफलकलशजलआम के पत्तेकपूरकलावसाबुत गेहूं के दानेदूर्वा घासजनेऊधूपएक छोटी झाड़ूदक्षिणा (नोट और सिक्के)आरती थाली.
दिवाली पूजा की विधि (Diwali 2021 puja vidhi)
-दिवाली की सफाई बहुत जरूरी है. अपने घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कें.- लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं. बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें.-कलश (चांदी/कांस्य का बर्तन) को अनाज के बीच में रखें.- कलश में 75% पानी भरकर एक सुपारी (सुपारी), गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें. -कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें.-केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में भगवान गणेश की मूर्ति रखें.- एक छोटी थाली लें और चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें.-अब अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें.-अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं. कलश पर भी तिलक लगाएं.-अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं. पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें.-अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें.- हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ा दें.-लक्ष्मीजी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं.- इसे फिर से पानी से स्नान कराएं, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें.-मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें. माला को देवी के गले में लगाएं. अगरबत्ती जलाएं.- नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें.- देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें.-थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें.
दिवाली उत्सव और मान्यताएं
अधिकतर जगहों पर दीपावली (Diwali) का त्योहार 5 दिनों तक मनाया जाता है. इस दिन लोग दीये जलाकर घर को रोशन करते हैं. नए वस्त्र पहनते हैं, समय के साथ नए पटाखे और आतिशबाजी भी की जाती हैं. फूलों और अन्य सजावटी चीजों से अपने घरों को सजाते हैं. लोग अपने प्रियजनों को उपहार और मिठाईयां भी बांटते हैं. माता धनलक्ष्मी ने इस दिन समुद्र मंथन से जन्म लिया था ऐसी भी मान्यता है. देवी लक्ष्मी के इस रूप में एक हाथ में सोने का कलश होता है. इस कलश से वो धन की वर्षा करती हैं।