रायपुर: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी दो दिवसीय ध्यानाकर्षण प्रदर्शन पर हैं, जिससे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। वे लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि सहित 18 बिंदु मांगों को लेकर रायपुर में हड़ताल पर हैं।
प्रदेश में डायरिया एवं डेंगू-मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से विभिन्न जिलों जैसे बीजापुर, नारायणपुर, दुर्ग, रायपुर, और कवर्धा के लोग ग्रस्त और परेशान हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग लाचार है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारी हड़ताल के लिए मजबूर हो गए हैं। वर्तमान में डायरिया प्रकोप से आम जनता परेशान है, वही सरकार इन कर्मचारियों की कोई सुध नहीं ले रही है। जिला अस्पताल, शहरी स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप-स्वास्थ्य केंद्र, और आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर इसका सीधा प्रभाव देखने को मिल रहा है, जहां कई संस्थाएं लगभग बंद हैं।
छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम एवं एड्स नियंत्रण कर्मचारी संघ के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी लंबित 27% वेतन-वृद्धि एवं नियमितीकरण सहित 18 बिंदु मांगों के संबंध में प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय ध्यानाकर्षण प्रदर्शन राजधानी रायपुर में कर रहे हैं।
एनएचएम एवं एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के संविदा स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा विगत 6 माह में वर्तमान सरकार को 24 बार से अधिक ज्ञापन एवं आवेदन-निवेदन दिया जा चुका है। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है, जिससे वे आंदोलन करने विवश हो गए हैं। ज्ञात हो कि पिछले जुलाई 2023 में बजट सत्र के दौरान अनुपूरक बजट में 37,000 संविदा कर्मचारियों के लिए 27% वेतन-वृद्धि प्रदान की गई थी, जिसके लिए 350 करोड़ का बजट आवंटन भी तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था। इसका लाभ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों को एक साल बाद भी नहीं मिल पाया है। कर्मचारियों ने बताया कि उक्त वेतन वृद्धि लाभ स्वच्छता मिशन, मनरेगा, और समग्र शिक्षा विभाग को मिल गया है, जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के 16,000 संविदा कर्मचारियों को 27% वेतन-वृद्धि अब तक प्राप्त नहीं हुई है।
विधानसभा घेराव में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों की संख्या लगभग 10,000 थी, जिसमें महिला कर्मी भी शामिल थीं।