नई दिल्ली: NEET-UG 2024 परीक्षा पेपर लीक के कथित मास्टरमाइंड रवि अत्री को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने परीक्षा की जांच की मांग कर रहे छात्रों के देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बीच शनिवार को गिरफ्तार कर लिया है। ग्रेटर नोएडा के नीमका गांव का रवि अत्री पहले भी कई पेपर लीक मामले का मास्टर माइंड रहा है। अब नीट परीक्षा में हुए पेपर लीक मामले के तार भी रवि अत्री से जुड़े हुए हैं। रवि अत्री का नाम, पहले उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना गया था, अब राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) में कथित अनियमितताओं की जांच के संबंध में उसका नाम सामने आया है।
रवि अत्री को इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UPSTF) ने मेरठ से गिरफ्तार किया था, उसने राजीव नयन मिश्रा के साथ मिलकर यूपी पुलिस कांस्टेबल परीक्षा का पेपर लीक करने की साजिश रची थी। उसने अपने इस पेपर लीक के ऑपरेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए मानेसर के एक रिसॉर्ट में पैसे लेकर छात्रों को इकट्ठा किया था।
नीट पेपर लीक का विवाद तब शुरू हुआ जब 67 छात्रों ने NEET-UG परीक्षा में 720 का परफेक्ट स्कोर हासिल किया। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इसके लिए दोषपूर्ण प्रश्न और कुछ केंद्रों पर पेपर वितरण में तार्किक देरी के कारण ग्रेस अंक दिए जाने को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, बिहार पुलिस की जांच से पता चला कि परीक्षा का पेपर कुछ चुनिंदा उम्मीदवारों को पहले से ही लीक कर दिया गया था।
संदेह के घेरे में नीट परीक्षा
लगभग 24 लाख मेडिकल छात्रों ने एनईईटी-यूजी (NEET-UG) परीक्षा 5 मई को दी थी, और रिजल्ट भी 4 जून को शीघ्र जारी किए गए थे। नतीजों को प्रबंधित करने के एनटीए के प्रयासों के बावजूद, व्यापक रूप से पेपर लीक के आरोप लगे और छात्रों ने इसे लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उसके बाद देश भर में कानूनी कार्रवाई की प्र्क्रिया शुरू की गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को संभालने के लिए एनटीए को फटकार लगाते हुए हस्तक्षेप किया था।
ऐसे हुआ पेपर लीक का खुलासा
नीट पेपर लीक घोटाले के तार अब मास्टर माइंड रवि अत्री से जुड़ गए हैं, जो विभिन्न राज्यों में पिछली परीक्षाओं के पेपर लीक में कथित संलिप्तता के लिए जाना जाता है। उसकी कार्यप्रणाली में कथित तौर पर ‘सॉल्वर गैंग’ नामक नेटवर्क के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हल किए गए प्रश्नपत्र अपलोड करना शामिल था। अत्री की 2012 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक करने में भी बड़ी भूमिका थी। मामला उजागर होने के बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उसे गिरफ्तार किया था।
बिहार पुलिस, जिसने शुरू में एक छात्र और सहयोगियों सहित लीक से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया था, पुलिस की इस जांच टीम ने राज्य की सीमाओं से बाहर जाकर जांच की तो पूछताछ के दौरान रवि अत्री के पेपर लीक से संबंध सामने आए, जिसके बाद यूपी एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
साल 2007 में, रवि अत्री के परिवार ने उसे मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा भेजा था। उसने 2012 में मेडिकल की परीक्षा पास कर ली और पीजीआई रोहतक में एडमिशन ले लिया, लेकिन चौथे साल की परीक्षा में शामिल नहीं हुआ। अधिकारियों ने कहा कि तब तक वह ‘परीक्षा माफिया’ के संपर्क में आ चुका था और अन्य उम्मीदवारों के लिए प्रॉक्सी के रूप में बैठा करता था। उसने लीक हुए पेपरों को छात्रों के बीच प्रसारित करने में भी अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी थी।
धीरे-धीरे रवि अत्री पेपर लीक का मास्टर माइंड बन गया। साल 2012 में प्री-मेडिकल टेस्ट परीक्षा पेपर और 2015 में एम्स पीजी परीक्षा पेपर लीक करने के आरोप में वह जेल जा चुका है। हाल ही में, यूपीएसटीएफ ने कांस्टेबल भर्ती घोटाले में अत्री और 18 अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, उस पेपर लीक का वह मास्टर माइंड था।
रवि अत्री और संजीव मुखिया का कनेक्शन
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को संजीव मुखिया के नेतृत्व वाले पेपर लीक माफिया से जुड़े सबूत मिलने के बाद नीट पेपर लीक घोटाले से अत्री का संबंध सामने आया। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आदेश के तहत ईओयू, एनईईटी-यूजी 2024 पेपर लीक पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तैयार है, जिसमें जला हुआ प्रश्न पत्र, ओएमआर शीट और अन्य आपत्तिजनक सामग्री शामिल है।
अत्री और संजीव मुखिया, हालांकि अलग-अलग काम कर रहे हैं, दोनों परीक्षा पत्र लीक करने के कारोबार में शामिल हैं। गौरतलब है कि मुखिया के बेटे डॉक्टर शिव कुमार ने अत्री के साथ ही पढ़ाई की थी। नीट मामले में, मुखिया द्वारा कथित तौर पर लगभग 25 उम्मीदवारों को पटना के एक लड़कों के छात्रावास में ठहराया गया था, जहां उन्हें परीक्षा से एक दिन पहले लीक हुई परीक्षा सामग्री दी गई थी।
हालांकि नीट पेपर लीक में अत्री की सीधी संलिप्तता की पुष्टि अबतक नहीं हुई है, लेकिन संजीव मुखिया गिरोह से उसके संबंध को लेकर संदेह पैदा हो गया है। पिछली गिरफ्तारियों के कारण अत्री अभी भी सलाखों के पीछे है, लेकिन इन संबद्धताओं के कारण चल रही जांच में उसका नाम सामने आया है।