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दो जनपदों के प्रभारी सीईओ के आगे शासन के नियम हुए शिथिल
निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का नहीं रखा जा रहा ख्याल
बलरामपुर।बलरामपुर जिले के जनपद पंचायत शंकरगढ़ और कुसमी में मनमानियों का दौर अपने चरम पर है। यहां विकास कार्य निर्माण संबंधी किए जा रहे सभी दावे खोखले हैं, हो रहे निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का दूर-दूर तक नामो निशान नहीं है। यहॉ तक की शासन की सबसे महत्वकांक्षी योजना नरवा-गरूवा घुरवा-बाड़ी योजना केवल कागजों में दिखाई पड़ रहा है। जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है, जिसकी जानकारी जिले के आला अधिकारियों को है किंतु उससे बड़ी विडम्बना की बात तो यह है कि दोनों जनपदों की जिम्मेदारी एक ही सीईओ को सौंप दिया गया है। जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी नादान बने बैठे हैं आंखे मूंदे हुए हैं और पंचायतों की मनमानियों से पीड़ित जनता हाय-हाय कर रही है।
उल्लेखनीय है कि जनपद पंचायत कुसमी 77 और शंकरगढ़ में 60 ग्राम पंचायत हैं। इतने पंचायतों की जिम्मेदारी एक ही जनपद सीईओ के ऊपर है। सप्ताह में 2 दिन शासकीय छुट्टियां, 1 दिन साप्ताहिक समय सीमा की बैठक होता है। लगभग 1 वर्षों से दोे जनपदों के प्रभार मेें एक ही सीईओ के होने से क्षेत्र में चल रहे गौठान, रीपा सहित मनरेगा, मूलभूत, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास जैसी अनेक निर्माण कार्यों मेें खुुलकर मनमानियां हो रही हैं। लोगों का कहना है कि दोनों जनपद क्षेत्र में केवल रसूखदारों की चलती है, कानून यहां कोई मायने नहीं रखता। दोनोें जनपदों में एक, दो गौठानों को छोड़ दिया जाये तो बाकी गौठानों को बुरा हाल है। शासन की महत्वकांक्षी योजनाएं धरातल से दूर नजर आ रही है। दोनोें जनपदों में कई षिकायतें ठण्डे बस्ते में पड़ी हुई हैं। जनपद क्षेत्र में आम आदमी सबसे ज्यादा उपेक्षित है, उसकी कहीं भी सुनवाई नहीं होती, जिसके खिलाफ षिकायत होती है उसके शिकायत की जांच सुनवाई और फैसला टेबल पर ही बैठे-बैठे हो रहा है।
आखिर कब तक चलती रहेगी मनमानी
जनपद पंचायत कुसमी एवं शंकरगढ़ में स्वच्छंदता और मनमानी अपने चरम पर है। सवाल यह उठता है कि ऐसा कब तक चलता रहेगा। आम जनता की कब सुनी जाएगी और सरकार की मंशा के अनुरूप निर्माण और विकास कार्य के परिपालन में ईमानदारी कब बरती जाएगी। कब गरीब जनता की सुधि ली जाएगी। कब उसका हक ईमानदारी पूर्वक उसे दिया जाएगा। सवाल ढेरों हैं जवाब नदारत है। उम्मीद है कि शासन प्रशासन स्तर से जनपद के सभी कार्यों का ईमानदारी पूर्वक मूल्यांकन होगा।
अपने चहेतों से कराया जाता है निर्माण कार्य
मिली जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत शंकरगढ़ और कुसमी में शासन की योजनाओं का निर्माण कार्य कुछ पंचायतों को छोड़ बाकी पंचायतों में अधिकारियों के द्वारा अपने चहेतों से कराया जा रहा है। दिखावे के लिए तो एजेंसी पंचायत को नियुक्त किया गया है, किंतु कार्य उनके चहेतों द्वारा मनमाने ढंग से किया जा रहा है। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है।
आखिर दो जनपदोें का प्रभार एक ही सीईओ को क्यों
बीते 1 वर्षोें से जनपद पंचायत शंकरगढ़ और कुुसमी में एक ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी को प्रभार दिया जाना लोेगों के हलक से नहीं उतर रहा है। लोगोें में चर्चा है कि आखिर एक मुख्य कार्यपालन अधिकारी को दो जनपद का प्रभार क्यों दिया गया है। क्या इस जनपद सीईओ के सामने शासन के सारे नियम षिथिल पड़ गए हैं। इस सीईओ को आखिरकार किस अफसर या नेता का वरदहस्त प्राप्त है। लोेगों का तो यहां तक कहना है कि राज्य का पहला जिला बलरामपुर होेगा जहॉ एक वर्षों से दो जनपदों की जिम्मेदारी एक ही सीईओ को देकर रखा गया है।
क्या कहते हैं जिले के अफ़सर
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जिला पंचायत सीइओ रेना जमील ने कहा शासन से बात हुई है बहुत जल्द कुसमी में सीइओ बैठाया जायेगा।
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कलेक्टर आर. एक्का ने कहा कि मैं अभी बाहर हूं मीटिंग में गया था, जिला पंचायत सीईओ से चर्चा कर कुसमी में सीईओ बैठाया जायेगा।