अंबिकापुर/बैकुंठपुर। “हर चीज की ओट में, आर्थिक महत्व तलाशता मानव,सांसों की गिनती कर, हवाओं का भी मूल्य बताता मानव”ये पेड़, नदी, झरने, समुद्र, जो हैं पता नहीं कबसे, इस धरती में, एक परजीवी की तरह उनकी भी कीमत बताता मानव””ईश्वर के दिये इन अमूल्य तोहफे का भी मूल्य बताता मानव””रिश्तों का भी बाजार भाव लगाता मानव, हर चीज की ओट में आर्थिक महत्व तलाशता मानव”।

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