अंबिकापुर: महामना मालवीय मिशन सरगुजा के तत्वावधान में भारतरत्न पं. मदन मोहन मालवीय के जयंती पर विविध कार्यक्रम का आयोजन मालवीय पार्क अम्बिकापुर में किया गया। जिसमें मालवीय जी के जीवनदर्शन पर व्यख्यानमाला , आध्यात्मिक संगोष्ठी एवं आध्यात्मिक संवाद, गीतापाठ एवं गीता महात्तम आदि विषयों पर नगर के विद्वतजनों ने विचार रखा।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं संस्था के आजीवन सदस्य हरिशंकर त्रिपाठी ने कहा की मालवीय का जीवनदर्शन आदर्शों का खजाना है । भारतवर्ष के राजनेता यदि मालवीय जी के जीवनचरित्र को अपना ले तो पुरे देश में सामाजिक समरसता का गंगा बहने लगेगी । अध्यक्ष डॉ. डी.एन. द्विवेदी ने कहा की मालवीय जी का पृष्ठभूमि एक साधारण परिवार से शुरू होकर विश्व के श्रेष्ठतम व्यक्तियों के में स्थान रखता है । स्वतंत्रता संग्राम में मालवीय जी का संघर्ष अद्वितीय रहा । अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ ब्रिटिश अदालत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का पक्ष रखने की दक्षता और कुशलता जो मालवीय जी में था अन्यत्र अन्य किसी में नहीं था ।
पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस.के.श्रीवास्तव ने कहा की वर्तमान परिदृश्य में भी मालवीय जी का जीवनदर्शन समसामयिक एवं प्रासंगिक है । उपाध्यक्ष डॉ वी.के. सिंह ने कहा की मालवीय जी का कृति भारतवर्ष के लिए धरोहर स्वरूप है । महामना की उपाधि से विभूषित विश्व के एकलौते महापुरुष हैं । राष्ट्रीय सेवा योजना सम्भागीय समन्वयक एवं संस्था के महासचिव डॉ. एस.एन.पान्डेय ने कहा की सादगी सरलता और विद्वता का संगम को खोजना तो मालवीय जी के कार्य पद्धति को शुक्ष्मता से निहारे । युवापीढ़ी को यह तथ्य अवश्य पढ़ाना चाहिए । सचिव सुरेंद्र गुप्ता ने कहा की मैं इस संस्था से लम्बें समय से जूड़ा हुँ सरगुजा में संस्था के संस्थापक सदस्य स्व. पं.रेवतीरमण मिश्र के साथ मिलकर छोटे बड़े गोष्ठियां हमलोग करते थे । आगें चलकर पूर्ण समर्पण के साथ हरिशंकर जी ने संस्था को गति दिया जो आज वटवृक्ष की भाँति प्रफुल्लित हो रहा है ।
विश्वविद्यालय के प्रयोजकमुलक हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजों के हुकूमत में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का बातें सोचना साधारण मनुष्य के मस्तिष्क की उपज नहीं हो सकती यह कार्य कोई महामना ही कर सकता था । ऐसे पुरूषों का जन्म नहीं बल्कि अवतरण होता है । पूर्व अध्यक्ष मदनमोहन मेहता ने कहा की व्यक्ति कर्म से महान होता है मालवीय जी की कार्यपद्धति अनुकरणीय है । राजकुमार गुप्ता ने कहा की व्यक्ति और व्यक्तित्व का प्रभाव समज में कब अनुकरणीय होता है जब उसके व्यवहारिक गुणों वह तथ्य समाहित हो , मालवीय जी के जीवन दर्शन इसका उदाहरण है । कार्यक्रम का संचालन करते हुऐ राज नारायण द्विवेदी ने कहा की व्यक्ति का कार्यकुशलता और दक्षता जब समाज को समर्पित हो जाता है तो वह व्यक्ति समाज का धरोहर बन जाता है । मालवीय जी की कृति भारतवर्ष के लिए धरोहर स्वरूप है ।
मालवीय पार्क में आध्यात्मिक संवाद और गीता पाठ का आयोजन
मालवीय जी का प्रिय ग्रंथ गीता था । मालवीय जी ने भारतवर्ष के लोगों से सप्ताह में एक घंटे का समय गीता पाठ के लिए मांगा था उसी का अनुश्रवण करते हुऐ संस्था ने 2012 से प्रतेक रविवार को गीतापाठ और आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन करता है जो लगातार आज तक चल रहा है । गीतापाठ के माध्यम से अम्बिकापुर नगर में परिवार प्रबोधन का कार्य सम्पन्न होता है । विगत दस वर्षों में सर्वाधिक गीतापाठ का आयोजन सुरेन्द्र गुप्ता और राजकुमार गुप्ता जी के निवास स्थान पर सम्पन्न हुआ है । ऐसे देखा जाये तो यह कार्य विगत दस वर्षों में एक हजार से अधिक घरों में गीतापाठ का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ है । आज एक संयोग था की इस तिथि में गीता के प्रथम अध्याय का क्रम आया जिसे आज प्रथम बार मालवीय जी के प्रतिमा के समक्ष यह कार्य सम्पन्न हुआ । गीता मर्मज्ञ पं. राम नारायण शर्मा ने इस अध्याय पर विशेष प्रकाश डाला । गीतापाठ में राजकुमार गुप्ता डॉ. राजकुमार उपाध्याय, मदनमोहन मेहता, सुरेंद्र गुप्ता पं.राज नारायण द्विवेदी की विशेष सहभागिता रही ।