• छत्तीसगढ़ में छुपा है छोटा तिब्ब्त

  • मैनपाट को शिमला भी कहा जाता है
  • 24 गाँवों से मिलकर बना मैनपाट, क्या खास है
  • मैनपाट में पर्यटक स्थल, टाइगर प्वाइंट, मछली प्वाइंट,मेहता पॉइंट

  • आप मैनपाट में कहाँ ठहरें, कैसे पहुँचे

    रोमांच का केंद्र बना हुआ है उल्टा पानी
  • मैनपाट में एक ऐसा स्थान है, जहां कूदने पर धरती कांपती है

अनिल सोनी
अंबिकापुर।छत्तीसगढ़ मध्य भारत सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों के मामले में ही अमीर नहीं है, बल्कि यहाँ का गौरवशाली इतिहास भी एक खज़ाना ही है। यहाँ के हर हिस्से में एक अलग कहानी है जो इतिहास में कई सदियों पहले की सैर करा देती है। बढ़ती जागरूकता के साथ, अब ये क्षेत्र भी मुसाफिरों की लिस्ट में ऊपर आने लगा है। और अगर मैं आपको ये बताएं की छ्त्तीसगढ़ में एक छोटा तिब्बत बसता है, तो आप यहाँ जाने के लिए और भी उतावले हो जाएँगे। शिमला की खूबसूरती देखनी है तो पहुंचे मैनपाट नदियां व झरने पूरे शबाब पर है लोगों को आकर्षित कर रही है। अंबिकापुर से मैनपाट तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। दरिमा हवाई पट्टी से मैनपाट का सफर 50 किमी का है, जबकि रायगढ़-काराबेल के रास्ते जाने पर 83 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। दोनों ही रास्ते पर मनोरम नजारे देखने को मिलते हैं लेकिन असली रोमांच दरिमा हवाई पट्टी से मैनपाट जाने में आता है। मैनपाट के पूर्वी हिस्से में संरक्षित वनखंड पी. 2350 एवं पी. 2351 वनखंड मड़वा सरई के मध्य से महादेव मुड़ा नदी बहती हैं। महादेव मुड़ा नदी वन क्षेत्र के मध्य में 60 मीटर की ऊॅचाई से गिरती हुई एक आकर्षक जल प्रपात बनाती हैं।



अंबिकापुर जिले में विंध्य पर्वतमाला पर समुद्रतल से करीब साढ़े तीन हजार फीट की ऊंचाई पर बसे मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, समुद्र तल से ऊंचाई, रमणीय स्थल व ठंड के दिनों में बर्फबारी शिमला में होने का अहसास कराती है। मैनपाट की खूबसूरती देखनी हो तो ठंड और बारिश के दिनों में यहां आए। इन दिनों यहां का सौंदर्य चरम पर होता है। गर्मी के दिनों में भी यहां का तापमान काफी ठंडा रहता है। इसलिए हर मौसम में सैलानी यहां खींचे चले आते है। ऊंची-ऊंची पहाडिय़ों व वनों से आच्छादित करीब 13 किलोमीटर के इस हरियाली इलाके में नदियां व झरने लोगों को आकर्षित करते हैं। यहां चारों ओर पसरी हरी-हरी घास दिल को सुकुन देती है। ठंड के दिनों में सुबह-सुबह बर्फ की सफेद चादर पूरी धरती को ढंक लेती है, जबकि बारिश में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली बिखरी रहती है। इस दौरान यहां के झरने पूरे शबाब पर होते हैं। झरनों का कल-कल नाद व पक्षियों की चहचहाहट लोगों को अपनी ओर खींच लेती है। यहां बारिश व ठंड में सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचते है मगर इस वर्ष कोरोना के कारण कम पहुंचे। गर्मियों में भी यहां का ठंडा मौसम पर्यटकों को आकर्षित करता है।अभी नदियां व झरने पूरे शबाब पर है लोगों को आकर्षित कर रही है। मैनपाट में बाक्साइट खनिज प्रचूर मात्रा में है। बाल्को कंपनी यहां इस खनिज की खुदाई करती है। इसका उपयोग एल्यूमीनियम बनाने में किया जाता है। यह यहां रहने वाले कई लोगों के लिए यह आजीविका का साधन है।



मैनपाट को शिमला भी कहा जाता है, कहाँ है ये छोटा तिब्बत

मैनपाट अंबिकापुर के पास बसा एक छोटा-सा लोकप्रिय हिल-स्टेशन है जो 368 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। अपने सुहाने मौसम और दिलकश नज़ारों के कारण इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है। घने वनस्पतियों और जीवों से भरा ये हिल स्टेशन कई धाराओं और प्राकृती के खूबसूरत नज़ारों से घिरा हुआ है। ये इलाका यहाँ उगाए जाने वाले कई तरह के औषधीय पौधों के लिए भी जाना जाता है।



24 गाँवों से मिलकर बना मैनपाट, क्या खास है मैनपाट में
24 गाँवों से मिलकर बना मैनपाट, राज्य के सबसे उत्तरी भाग में आता है। शुरुआत में तो यहाँ यादव और स्थानीय आदिवासियों समेत कुछ ही लोग रहा करते थे, लेकिन पिछले कुछ दशकों से ये तिब्बतियों का घर भी बन गया है। चीनी आक्रमण के बाद, यह उन क्षेत्रों में से एक है जहाँ भारत सरकार ने तिब्बतियों को शरण दी। 1400 शरणार्थियों की आबादी के साथ बसा ये गाँव आज लगभग 2300 शरणार्थियों को पनाह देता है। दलाई लामा की यात्रा के बाद, यहाँ के स्थानीय बौद्ध मठ की अहमियत काफी बढ़ गई है।



मैनपाट में पर्यटक स्थल, टाइगर प्वाइंट

यहाँ के बाहरी इलाकों के पास कई सारी कैंपिंग साइट्स है जहाँ से पुरे गाँव का नज़ारा दिखाई देता है। टाइगर पॉइंट और मछली पॉइंट पर आप यहाँ की खूबसूरती से रूबरू हो सकते हैं। मछली पॉइंट पर तो आपको धारोओं में तैरती रंगीन मछलियाँ भी नज़र आजाएँगी।आप परपतिया के रसमडा, रामगढ़ और बनराई में जलप्रपात, बांध और गुफाओं का भी आनंद ले सकते हैं। यहाँ पैराग्लाइडिंग के लिए भी कई सारे विकल्प हैं और जल्द ही और भी कई एडवेंचर स्पोर्ट्स की शुरुआत होने वाली है।

मछली प्वाइंट

यह जगह ढाकपो जैसे कई खूबसूरत मठों का भी घर है। अगर मैनपाट घूमने आ रहे हैं तो यहाँ ज़रूर आएँ। और अगर आपकी किस्मत अच्छी रही, तो हो सकता है आप एक तिब्बती शादी में शामिल भी हो सकें। दो साल पहले कोरोना कोविड-19 के कारण सैलानियों के आवागमन कम हुए थे।

मेहता पॉइंट

मैनपाट से लगभग 8 कि.मी. दूर एक अद्भुत झरना है जो चारों तरफ लंबे पहाड़ों से घिरा है, जिसका नाम है मेहता पॉइंट। अपने वनस्पतियों और जीव जन्तुओं के लिए मशहूर कमलेश्वर में बना देव प्रवाह भी है। जलजला, वो जगह यहाँ पर जमीन कूदने पर किसी ट्रैम्पोलिन या गद्दे की तरह लगती है, यहाँ से पास ही है।

आप मैनपाट में कहाँ ठहरें

हालांकि नई सड़क बनने के चलते यहाँ कई सारे ठहरे के ऑप्शन खुल गए हैं। लेकिन यहाँ रहने के लिए सबसे मशहूर जगह टाइगर फॉल रिज़ॉर्ट है जो पहाड़ों के बीच बनी एक सुंदर प्रॉपर्टी है। होटल भी खुल चुके है।

आप कैसे पहुँचे मैनपाट

हवाई यात्रा द्वारा सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा रायपुर में है जो यहाँ से 350 कि.मी. की दूरी पर है। एयरपोर्ट से मैनपाट पहुँचने के लिए आप राज्य परिवहन की बस ले सकते हैं या प्राइट गाड़ी किराए पर ले सकते हैं।अंबिकापुर से मैनपाट तक पहुंचने के दो रास्ते हैं दरिमा हवाई पट्टी से मैनपाट का सफर 50 किमी का है,जबकि रायगढ़-काराबेल के रास्ते जाने पर 83 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। दोनों ही रास्ते पर मनोरम नजारे देखने को मिलते हैं लेकिन असली रोमांच दरिमा हवाई पट्टी से मैनपाट जाने में आता है।

मैनपाट में एक ऐसा स्थान है, जहां कूदने पर धरती कांपती है

जब कोई आप से कहता है कि उसके कूदने से धरती कांपती है, तो आप इसे मजाक समझेंगे। लेकिन अगर आप छत्तीसगढ़ में मौजूद हैं, तो आपको इस बात पर यकीन करना पड़ेगा। जी हां, छत्तीसगढ़ में एक ऐसा स्थान है, जहां कूदने पर धरती कांपती है। साथ ही यहां पानी नीचे के बजाए ऊंचाई की ओर बहता है। इस स्थान का नाम है मैनपाट और यहां हम आपको इस स्थान के बारे में सारी जानकारी दे रहे हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, कभी यहां जलस्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ ऊपर से सूख गया और अंदर जमीन दलदली रह गई।1997 में जबलपुर में भूकंप आने के बाद होशंगाबाद नर्मदा के क्षेत्र में ऐसे दलदली क्षेत्र का निर्माण हुआ था। लेकिन उसकी एग्जेक्ट वजह क्या है, उसका पता लगाया जाना चाहिए।एक सिद्धांत ये भी है कि पृथ्वी के आंतरिक दबाव और पोर स्पेस (खाली स्थान) में सॉलिड के बजाय पानी भरा हुआ है इसलिए यह जगह दलदली और स्पंजी लगती है।

रोमांच का केंद्र बना हुआ है उल्टा पानी

उल्टा पानी एक ऐसी जगह है वट वृक्ष खेत के एक कोने से रिसता हुआ पानी जो प्रकृति के सामान्य नियमों के विपरीत घाट की ओर चढ़ता हुआ छोटे से टीले को पार कर 185 मीटर दूसरी तरफ बह रहा है।इतना ही नहीं यहां से होकर गुजरने वाली सड़क पर नीचे की तरफ अगर चार चक्का वाहन को न्यूट्रल में डाल दिया जाए तो वह घाट की ओर चलने लगता है। बंद गाड़ी को घाट की तरफ खुद चढ़ता देखना सैलानियों के लिए रोमांच केंद्र बना हुआ है। यहां पहुंचने वाला हर सैलानी आश्चर्यचकित हो उठते है। इस पर रिसर्च के लिए कोई टीम नहीं आ सकी है और न ही किसी ने इसके वैज्ञानिक कारण को जानने की कोशिश की है। भूगोलविद जरूर इसे गुरुत्वाकर्षण व चुंबकीय कारण मान रहे हैं। पानी उलटा बह रहा है तो गुरुत्वाकर्षण मुख्य कारण है। विपरीत दिशा में बड़ा चुंबकीय भंडार हो सकता है। चूंकि मैनपाट ज्वालामुखी पठार है इसलिए चुंबकीय भंडार है।

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