सूरजपुर: वर्ष 1995 से लेकर आज तक 27 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी ग्राम पंचायत सचिवों का शासकीयकरण नहीं हो पाया है जबकि ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा नियुक्त शिक्षा कर्मियों एवं वनकर्मियों के अलावा अन्य विभाग के कर्मचारियों का शासकीयकरण शासन द्वारा किया जा चुका है ये पीड़ा है ग्राम पंचायत सचिवो का जो आज पर्यन्त तक शासन द्वारा हल नहीं की गई है।
जिला सूरजपुर पंचायत सचिव संघ के प्रदेश संगठन मंत्री सोमारसाय तिर्की , पूर्व जिला कोषाध्यक्ष शिवेन्द्र जायसवाल , सूरजपुर ब्लाक अध्यक्ष सियाराम राजवाड़े , सचिव राजकुमार सिदार , गौतम प्रधान , शांता प्रसाद राजवाड़े , कासिम अंसारी , पी एस सिंह देव ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत सचिव अपने 29 विभागों के लगभग 200 कार्यों के अलावा अन्य विभागों का भी कार्य संपादित कर रहे हैं । गौरतलब है कि भारत एक गांव का देश कहलाता है और यहां का लगभग 70 से 80% आबादी गांव में निवास करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र एवं राज्य की समस्त योजनाओं को गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव की होती है और सचिव ही पंचायत का मुख्य सूत्रधार होता है लेकिन आज तक उनकी जायज मांग शासकीय करण को सरकार पूरा नहीं कर पाई है जिसके कारण सचिवो में रोष है तकरीबन डेढ़ माह पूर्व सचिव संघ द्वारा हड़ताल कर अपनी मांग पूरी करवाने का प्रयास किया गया लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी तक पंचायत सचिवों के प्रति कोई सुध नहीं ली है और हर बार केवल प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें कोरा आश्वासन ही मिलता रहा है। गौरतलब है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा सचिव का शासकीय करण दिसंबर 2021 में किए जाने का वादा किया गया था लेकिन आज तक सरकार द्वारा कुछ नहीं किया गया जबकि सचिवों की केवल एक सूत्रीय मांग है कि परीक्षा अवधि पूर्ण होने पश्चात उनका शासकीयकरण किया जावे।
हर माह नियत समय पर वेतन भी नहीं मिलता
खास बात यह है कि सचिवों को प्रति माह एक निश्चित अवधि में वेतन भी नहीं मिलता जिसके कारण सचिवो को कई तरह की आर्थिक, मानसिक समस्याओं से भी हमेशा गुजरना पड़ता है। खास बात ये है कि अपनी 1 सूत्रीय मांग अर्थात शासकीय करण को लेकर ग्राम पंचायत सचिवों के द्वारा 16 मार्च 2023 से 9 मई 2023 तक 55 दिन तक अनिश्चितकालीन हड़ताल भी किया गया था जिसे माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आश्वासन मिलने के बाद खत्म किया गया । सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार प्रदेश कांग्रेश सरकार द्वारा जुलाई माह में अनुपूरक बजट में सचिवों की मांग को पूरा किए जाने के लिए सचिव संघ के प्रांतीय पदाधिकारियों को कही गई है जिसका सचिव बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं गौरतलब है कि सचिवों ने विपरीत परिस्थितियों में भी कोरोना काल में कोरेंटाइन सेंटर की ड्यूटी , गांव में मरीजों का सर्वे करना और कोरोना टीकाकरण ड्यूटी जैसे हर काम पूरी ईमानदारी के साथ किया था जबकि उस वक्त ऐसी स्थिति थी कि अन्य विभाग के लोग कोरोना के डर से घर से बाहर भी नहीं निकल रहे थे तो सचिवों ने जिम्मेदारियों को अपनी जान हथेली में रखकर बखूबी निभाई थी।
बड़ा सवाल यह है कि सचिवों की अनदेखी आखिर कब तक होती रहेगी और उन्हें शासकीय करण की सौगात कब मिलेगी, जबकि शासन के हर कार्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करने के बावजूद सचिव आज भी शासकीय सेवक नहीं है।