रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में अल्पवर्षा और खंडवर्षा की वजह से 16 जिलों में चिंताजनक स्थिति बनी हुई है। इसका विपरीत असर धान की नई फसल पर पड़ रही है। सभी जिलों को मिलाकर प्रदेश में 22 प्रतिशत कम बारिश हुई है। किसानों की मांग के बाद अब बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है। राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 100 से अधिक तहसीलों में औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है।

राज्य सरकार के निर्देश के बाद सूखे के हालातों को लेकर राजस्व और कृषि विभाग को लगातार निगरानी और रिपोर्ट देने को कहा गया है। जिला प्रशासन से हर दिन की रिपोर्ट मांगी जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक सूखे के हालातों पर कृषि विभाग के जरिए नजरी आंकलन कराया जाएगा, जिससे तात्कालिक मदद की जा सके। राजस्व विभाग ने अभी तक सूखाग्रस्त तहसीलों की घोषणा नहीं की है। मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस वर्ष छत्तीसगढ़ में सामान्य बारिश होगी।

मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश के बिलासपुर व दुर्ग संभाग सहित अन्य जिलों में अगले तीन से चार दिन तक बारिश के आसार बने रह सकते हैं। मानसून द्रोणिका मध्य समुद्र तल पर लगातार हिमालय की तराई में बना हुआ है। एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी के ऊपर 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। भारी वर्षा का क्षेत्र मुख्यत: दक्षिण छत्तीसगढ़ रहने की संभावना है। एक द्रोणिका उत्तर प्रदेश बिहार होते हुए उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक बनने की संभावना है, जिसके कारण प्रदेश में अनेक स्थानों पर वर्षा की संभावना बन रही है।

रायपुर मौसम केंद्र के मौसम निदेशक एचपी चंद्रा ने कहा, प्रदेश के 16 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है। प्रदेश के कई जिलों में वर्तमान में बारिश की प्रबल संभावना है। सभी जिलों को मिलाकर वर्तमान में 22 प्रतिशत कम बारिश हुई है।कृषि विवि के कृषि मौसम वैज्ञानिक डा. जीके दास ने कहा, कई जिलों कम बारिश हुई है, लेकिन अभी हालात भयावह नहीं है। 15 दिन बारिश नहीं होने के बाद भी धान की फसल को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। भादो में बारिश की प्रबल संभावना है। तीन से चार दिन की बारिश फसलों के लिए संजीवनी का काम करेगी।

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