बलरामपुर।बलरामपुर जिलेे में अब तक औसत से भी कम बारिश हुई है। बारिश नहीं होने के कारण किसान फसलों को बचाने के जुगाड़ में लगे हुए हैं। शुरुआती बारिश के बाद किसानों ने बोनी तो कर दी, लेकिन अब फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। खेतों में पानी नहीं होने केे कारण किसान रोपा नहीं लगा पा रहेे हैं। रोपाई कार्य करने में किसानों को दिक्कत होने लगी है। ऐसे में खेती-किसानी का कार्य पिछड़ता जा रहा है। बोर से सहारे किसान 35 प्रतिशत धान की रोपाई कर पाए हैं।

जिले में असामान्य रुप से हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। अच्छी बारिश के अभाव में किसान बोनी में भी पिछड़ रहे है। सावन केे महीने में जिस तरह सेे खेतों में रोपाई का कार्य चल रहा है। उससे जिले के अन्नदाता की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में एक तरफ जहॉ मौसम की बेरुखी से बारिश नहीं हो रही है वहीं बिजली कटौती के चलते किसानों की परेशानी दोगुनी बढ़ गई हैै। बारिश नहीं होने के कारण किसान फसलों को बचाने की जुगाड़ में लगे हुए है। शुरुआती बारिश के बाद किसानों ने बोनी तो कर दी, लेकिन अब फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है। खेतों में पानी नहीं होने के कारण किसान रोपा नहीं लगा पा रहे हैं। रोेपाई कार्य करने में किसानों को दिक्कत होने लगी है। ऐसे में जिले में खेती किसानी के कार्य पिछड़ते जा रहे है। साधन संपन्न किसान अब मोटर पंप के सहारे खेतों में धान का रोपाई कार्य करने लगे है। अच्छी बारिश के इंतजार में किसान रोपाई कार्य को आगे बढ़ा रहे है। किसानों को उम्मीद है कि आज नहीं तो कल बारिष होगी ही। धान का रोपाई कार्य करने के लिए खेतों में पर्याप्त पानी की आवष्कयता पड़ती है, तब कही जाकर धान का रोपाई कार्य हो पाता है। बारिश नहीं होने के कारण फसलें भी मुरझाने लगी हैं। 

सावन में भी खेत प्यासे 

मानसून की देरी के चलते आषाढ़ माह सूखा ही निकल गया। आषाढ़ माह में मात्र दो-तीन दिन ही अच्छी बारिश हुई। सावन के 18 दिन बीत जाने के बाद भी अच्छी बारिश नहीं हुई। मानसून कमजोर होेने केे कारण खेतों में लगी फसलें सूखने की कगार पर हैं। बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरों पर चिंता दिखाई दे रही है। यदि अच्छी बारिश नहीं हुई तो पेयजल की समस्या विकराल रुप ले सकती है। किसानों ने पहले दौर की बारिश में बुआई के साथ रोपा तैयार कर लिया था, लेेकिन अब खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। विद्युत मोटर के जरिए सिंचाई कर फसलों को बचाने की कोशिश की जा रही है। 

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