जिले में कुछ बीएमओ व पटवारी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं
बलरामपुर।भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तीन वर्ष या उससे अधिक समय से जिले और गृह मुख्यालय में जमे अधिकारियों- कर्मचारियों को हटाए जाने के लिए राज्य शासन को निर्देश दिए जाने के बाद अब जिले के दर्जनों अधिकारियों- कर्मचारियों का स्थानांतरण तय माना जा रहा है। बीते लम्बे अर्से सेे जिले तथा जनपद स्तर पर बैठे कुछ अधिकारियों- कर्मचारियों की कार्यशैली कोे लेकर पूर्व में आला अफसरों और शासन से कई बार शिकायत की जा चुकी है। निर्वाचन आयोग के निर्देशों के बाद अब चुनाव पूर्व इन अधिकारियों- कर्मचारियों का तबादला तय माना जा रहा है। इनमें जिले के जनपद पंचायत, राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग व अन्य विभाग के कर्मचारियों के प्रभावित होने की संभावना है। जिले में कुछ बीएमओ व पटवारी चुनाव लड़ने लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
बीते दिनों भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य सरकार को जिले में तीन वर्ष या उससे अधिक समय से एक स्थान पर जमे अधिकारियों- कर्मचारियों को चुनाव पूर्व हटाए जाने केे निर्देश दिए है। बताया गया है कि जिसकेे बाद अब जिले में इस नियम के जद में आने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की बकायदा लिस्टिंग प्रारंभ कर दी गई है। यदि इस नियम के चलते उन्हें हटाया गया तो जिला प्रशासन की लगभग पूरी टीम ही नई हो जाएगी। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि 2012 से जिले के निर्माण पश्चात कई कर्मचारी ऐसे हैं जो तीन चार साल तक जिला, ब्लॉक, पंचायत, हल्का स्तर में ही रहते हैं और दिखावे के नाम पर कुछ माह अन्य स्थान में कार्य कर अपनी साख का फायदा उठाते हुए फिर से अपने गृह मुख्यालय में ही पहुंच जाते हैं। अब निर्वाचन आयोग के निर्देशों केे बाद जिले से इन अधिकारियों-कर्मचारियों की विदाई तय मानी जा रही है। सूत्रों ने बताया कि इनके अलावा अन्य कई कर्मचारियों की सूची जिला प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही है। इन कर्मचारियों में से कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं जो जिला निर्माण पश्चात बीते 11 वर्षों में मुख्यालय से स्थानांतरण हो जाने के कुछ माह बाद येन केन प्रकारेण अपनी पदस्थापना फिर से मुख्यालय में ही करा लेते हैं, परंतु अब ऐसे कर्मचारियों पर निर्वाचन आयोग की सीधी नजर है।
वर्षों से अंगद की पांव की तरह जमे हैं अधिकारी-कर्मचारी
जिले केे जनपद पंचायतों में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग, सचिव, पटवारी सहित अन्य कर्मचारी सहित जिला पशासन के कई विभाग ऐसे हैं जहॉ एक ही कर्मचारी एक ही कुर्सी पर गृह मुख्यालय में वर्षों से काबिज हैं। अब तो ऐसे कर्मचारी आम जनता के सेवक न रहकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के सदस्य केे रुप में महती भूमिका निभा रहे हैं। चुनाव पूर्व ऐसे तथाकथित शासकीय कम राजनीतिक कर्मचारियों के विरुद्ध उन्हें हटाए जाने की मांग भी की जाती है, किन्तु वर्षों बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। अब तो वर्षों से जमे हुए ये कर्मचारी अपने रसूख का फायदा उठाकर राजनीति में खुलेआम दखल देते हुए दिखाई देते हैं। यही नहीं उन लोगों द्वारा पार्टी विशेष के प्रत्याशियों के पक्ष में न केवल खुलेआम प्रचार करते हुए दिखाई देते हैं बल्कि उनके लिए जोड़-तोड़ की राजनीति भी जमकर करते हैं। कई बार ऐसी स्थिति को लेकर बिवाद की स्थिति भी बन जाती है। यह केवल जनपद पंचायतों के सचिवों की ही बात नहीं है बल्कि अन्य विभागों में ऐसे शासकीय कर्मचारी भी हैं जिनका स्थानांतरण होना तो दूर उनकी कुर्सियां तक नहीं बदली हैं। ऐसे शासकीय कर्मचारी जनहित कार्य की जगह स्वहित की ज्यादा चिन्ता करते हैं। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन जनपद, राज्सव व अन्य विभागों में अंगद की पांव की तरह जमे कथित शासकीय सेवकों पर चुनाव आयोग के स्थानांतरण निर्देषों का पालन करता है या नहीं।
प्रशासन ने मांगी जानकारी
भारत निर्वाचन आयोग के आदेश के परिपालन में यहॉ के जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर रिमिजियुस एक्का ने जिले के सभी विभाग प्रमुखों को पत्र जारी कर एक ही स्थान में तीन वर्ष से अधिक पदस्थ अधिकारियों- कर्मचारियोें की जानकारी मंगाई है ताकि भारत निर्वाचन आयोग के आदेशानुसार कार्यवाही की जा सके।