बलरामपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में 7वीं बार परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के माध्यम से स्कूली छात्र-छात्राओं से सीधा संवाद किया, जिसका सीधा प्रसारण पूरे भारतवर्ष में किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों के हर सवाल जैसे-बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे की जाए, टाइम मैनेजमेंट कैसे हो, मोबाइल के दुष्प्रभाव से कैसे बचा जाए? का जवाब बेहद सरल अंदाज में दिया। उन्होंने यह भी बताया कि वे कैसे इतने सकारात्मक रहते हैं और प्रधानमंत्री के रूप में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षकों और अभिभावकों के साथ परीक्षा को उत्सव की तरह मनाने एवं विद्यार्थियों में तत्संबधी तनाव दूर करने के लिए सीधा संवाद कर उन्हें परीक्षा को तनावमुक्त एवं उत्साह के साथ दिलाने के टिप्स दिए। कलेक्टर रिमिजियुस एक्का जिले के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला के ऑडिटोरियम में आयोजित परीक्षा पे चर्चा के सीधे प्रसारण कार्यक्रम में शामिल हुए।


प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि निर्णय लेना सबसे जरूरी है, अनिर्णय या संशय की स्थिति अच्छी नहीं होती। उन्होंने कहा की छात्रों के जीवन को संवारने में शिक्षक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं। छात्रों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ नौकरी करना नहीं, बल्कि छात्रों की जिंदगी को संवारना और सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा के तनाव के कारणों को विद्यार्थियों के साथ-साथ पूरे परिवार और शिक्षक को मिलकर खोजना और सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। अगर जीवन में चुनौती और स्पर्धा ना हो, तो जीवन प्रेरणा हीन और चेतनाहीन बन जाएगा। इसलिए प्रतिस्पर्धा तो होना ही चाहिए, लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बच्चों को टिप्स देते हुए कहा कि आजकल तकनीकी उपकरण मोबाइल और आईपैड के आ जाने से लोगों की लिखने की आदत कम हो गई है, लेकिन जितना लिखेंगे उतनी ही अच्छी तैयारी होगी और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। इसलिए आप दिन में जितनी देर पढ़ते हैं उसका कम से कम आधे समय का उपयोग नोट्स बनाने में लगाएं। इससे आपको अनुमान हो जाएगा कि परीक्षा में कितनी देर में क्या उत्तर लिखना है। अगर आपको तैरना आ जाएगा तो पानी में उतरने में डर नहीं लगेगा, ठीक वैसे ही जब आप लिखने का अभ्यास करेंगे तो आपको टाइम मैनेजमेंट आ जाएगा और जाहिर तौर पर परीक्षा परिणाम में इसका असर दिखेगा। प्रौद्योगिकी को बोझ नहीं बनाना चाहिए, इसका विवेकपूर्ण उपयोग करें। सही समय जैसा कुछ नहीं है इसलिए इसका इंतजार न करें। चुनौतियाँ आती रहेंगी और आपको उन चुनौतियों को चुनौती देनी होगी। यदि लाखों चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं, असफलताओं से निराशा नहीं होनी चाहिए। हर गलती एक नई सीख हैं। कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित विद्यार्थी, शिक्षक एवं अभिभावकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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